Children of government schools in Bihar will now learn computer programming

बिहार में सरकारी स्‍कूलों के बच्‍चे अब सीखेंगे कंप्‍यूटर प्रोग्रामिंग, गूगल की मदद से संवरेगा भविष्‍य

ज्ञान के बनते भंडार के कारण कंप्यूटर की उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता। इस डिजिटल युग में कंप्यूटर के ज्ञान के बिना बच्चे भी अपनी कल्पना की उड़ान नहीं भर सकते। ऐसे में बिहार के नालंदा के सरकारी स्‍कूलों के बच्‍चे अब कंप्‍यूटर प्रोग्रामिंग और कोडिंग सीखेंगे। डीडीसी वैभव श्रीवास्तव ने बच्चों में कंप्यूटर के प्रति ललक पैदा करने के लिए खास कार्यक्रम आयोजित किया है। उनके नेतृत्व में कंप्यूटर शिक्षकों का 15 सदस्यीय दल ने गूगल फार एजुकेशन द्वारा तैयार गूगल सीएस फर्स्‍ट प्लेटफार्म पर कोडिंग की जानकारी प्राप्त की। कोडिंग को प्रोग्रामिंग का रूवरूप है। इसे सरल भाषा में कंप्यूटर की भाषा भी कहा जाता है। जो कुछ भी हम कंप्यूटर पर करते हैं वो सब कोडिंग के माध्यम से ही होता है।

कोडिंग का ज्ञान कंप्यूटर प्रोग्राम विकसित करने का हुनर प्रदान करता है। जिससे बच्चे किसी भी विषय के किसी भी टॉपिक को प्रोग्रामिंग कर एक सहज रूप दे सकते हैं, जो अन्य बच्चों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है। किसी भी विषय का व्यवहारिक रूप देकर समझने में आसान बनाने की तकनीक इसके माध्यम से विकसित की जाती है।

क्या है कोडिंग?

कोडिंग को प्रोग्रामिंग का स्‍वरूप है। इसे सरल भाषा में कंप्यूटर की भाषा भी कहा जाता है। जो कुछ भी हम कंप्यूटर पर करते हैं वो सब कोडिंग के माध्यम से ही होता है। कोडिंग का इस्तेमाल कर कोई वेबसाइट, गेम या फिर ऐप तैयार कर सकता है। कोडिंग का इस्तेमाल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स में भी किया जा सकता है।

शिक्षकों को दिया गया मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण

डीईओ ने जिले के 15 योग्य कंप्यूटर शिक्षकों की सूची उप विकास आयुक्त को सौंपी थी। जिन्हें एनआईसी में आनलाइन और आफलाइन प्रशिक्षण उपविकास आयुक्त के निर्देशन में गूगल टीम के द्वारा दी गई। गूगल सीएस फर्स्‍ट की शिवानी अग्रवाल ने यह प्रशिक्षण संचालित किया।

सरकारी स्कूल में पहली बार दिया जाएगा कोडिंग का ज्ञान

सभी प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर को गूगल की तरफ से सर्टिफिकेट भी निर्गत किया गया। ये मास्टर ट्रेनर जिले के अन्य शिक्षकों को कोडिंग सिखाने के लिए प्रशिक्षित करेंगे जो अपने-अपने विद्यालयों में बच्चों को कोडिंग की जानकारी देंगे। बताते चलें कि सरकारी विद्यालयों में इस प्रकार की पहल पहली बार नालंदा में जा रही है।

कोडिंग का ज्ञान लेकर बच्चे किसी प्रकार के ऐप बनाने में सक्षम होंगे। वे आम जन जीवन में जरूरत की पहचान कर सकेंगे। वह दिन दूर नहीं, जब बच्चों के बनाए ऐप से सभी लाभान्वित होंगे।

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