Divyang teacher changing the future of children in Jamui

बिहार के दिव्यांग शिक्षक बदल रहे बच्चों का भविष्य, महादलित बस्ती में जगा रहे शिक्षा का अलख

बिहार के जमुई शहर से दूर ग्रामीण महादलित इलाके में दोनों पैर से दिव्यांग रामजी मांझी अपनी अपंगता को चुनौती देते हुए बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। दिव्यांग होने के बावजूद अपनी मंजिल पाने में कामयाब रहे हैं और समाज में एक मिसाल कायम की है। कुछ ऐसी ही कहानी है घुरघुरिया गांव के रहने वाले 26 वर्षीय रामजी मांझी की।

जमुई जिले के सिकंदरा प्रखंड के महादलित बस्ती घुरमुरिया के रहने वाले हैं रामजी मांझी की। बचपन में पोलियो के शिकार हुए, जिसके कारण दोनों पैरो से दिव्यांग हो गए। शारीरिक लाचारी और गरीबी के कारण किसी तरह दशमी तक की पढ़ाई की। इच्छा थी शिक्षक बने,पर गरीबी के सामने शिक्षक बनना एक सपना ही रह गया।

Divyang teacher Ramji Manjhi with both feet
दोनों पैर से दिव्यांग शिक्षक रामजी मांझी

16 साल से गांव के बच्चों को दे रहे मुफ्त शिक्षा

शारीरिक लाचारी के बावजूद खुद के बल पर गरीब महादलित परिवार का राम जी मांझी बीते 16 साल से गांव के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा प्रदान कर रहा है। रामजी मांझी के पास अपना घर भी नही है।वह अपने चाचा के घर में रहता है।जिस गांव में कभी शिक्षा था ही नहीं,वहां आज शिक्षा का अलख जगा रहा है।महादलित गांव के दर्जनों बच्चों को शिक्षा दे रहा है।

Ramji Manjhi tells that he has been teaching the child since 2006
रामजी मांझी बताते है कि वह 2006 से बच्चे को पढ़ा रहे है

रामजी मांझी बताते है कि वे 2006 से बच्चे को पढ़ा रहे। मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण आगे की पढ़ाई नही कर सके। किसी तरह दशमी पास की गांव की सड़कें ठीक नहीं होने के कारण ट्राईसाइकिल से 8 km जाकर पढ़ाई करना संभव नहीं हो पाया। आज गांव के बच्चे को शिक्षा दे रहे है।

दोनों पैरो से दिव्यांग नहीं हारा हौसला

ग्रामीण महिला बताती है की पहले गांव के बच्चे नही पढ़ते थे।दिन भर खेलते रहते थे।आज रामजी सर गांव के सभी बच्चे को इकट्ठा कर पढ़ा रहे है। वह भी मुफ्त में, शिक्षा दे रहे है। दोनों पैरो से दिव्यांग होने के बाद भी उन्होंने अपना हौसला नहीं हारा।

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