वायरल: कार छोड़ साइकिल से ऑफिस जा रहे डीएम, शुरू की Saturday Cycling मुहीम
बिहार में कई आइएएस और आइपीएस अधिकारी अपनी अनोखी पहल के कारण चर्चा में रहे हैं। इसी क्रम में कटिहार के जिलाधिकारी उदयन मिश्रा ने ग्लोबल वार्मिंग को देखते हुए पर्यावरण बचाने और खुद को सेहतमंद रखने के लिए “सैटरडे साइकिलिंग” की पहल की है।
कटिहार डीएम ने अपने अधिकारियों और कर्मियों को स्वेच्छा से एक मुहिम से जुड़ने की अपील की है। “सैटरडे साइकिलिंग” की इस मुहिम को लेकर जिलाधिकारी उदयन मिश्रा ने सभी अधिकारियों और कर्मियों लिए पत्र जारी करते हुए हर शनिवार को साइकिल से ऑफिस आने की अपील की है।
लोगों में जाएगा अच्छा संदेश
इस पत्र के माध्यम से कहा यह गया है कि जिस अधिकारी के पास साइकिल नहीं है, या किसी कारण से वह साइकिल नहीं चला सकते हैं, वैसे स्थिति में वह पैदल भी आफिस आ सकते हैं।
इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि अगर अधिकारी या सरकारी कर्मी पर्यावरण को बचाने या खुद को फिट रखने के लिए ऐसी मुहिम को हिस्सा बनेंगे तो आम लोगों में भी इसे लेकर एक अच्छा संदेश जाएगा। हालांकि, इस मुहिम से जुड़ने के लिए किसी अधिकारी या कर्मी के लिए कोई भी जबरदस्ती नहीं है।
पर्यावरण संतुलन के दिशा में एक संदेश
“सैटरडे साइकिलिंग” पहल के तहत शनिवार को जिलाधिकारी उदयन मिश्रा खुद अपने घर से साइकिल चलाकर समाहरणालय पहुंचे। कई अन्य अधिकारी भी इस मुहिम का हिस्सा बनकर बेहद खुश दिखे।
जिला आपूर्ति पदाधिकारी रविशंकर उरांव इस मुहिम का समर्थन करते हुए साइकिल से ऑफिस पहुंचकर खुशी जताई और कहा कि ऐसा करने से पर्यावरण संतुलन के दिशा में एक संदेश देने के साथ-साथ खुद को फिट रखा जा सकता है।
स्कूल के दिनों की याद ताजा हो गई
आजमनगर बीडीओ सुनील कुमार मिश्रा शनिवार को साइकिल की सवारी कर अपने सरकारी कार्यालय पहुंचे। कार्यालय पहुंच कर उन्होंने कहा कि साइकिल की सवारी कर स्कूल के दिनों की याद ताजा हो गयी।
उन्होंने कहा कि कटिहार जिला वायु गुणवत्ता सूचकांक में पिछड़ता जा रहा है। लगातार बढ़ते वाहनों के कारण ग्रामीण क्षेत्र की हवा भी साफ नहीं रही है। जिसके कारण लोगों के स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
अन्य अधिकारियों ने की सराहना
बता दें कि डीएम की इस पहल के बाद एडीएम विजय कुमार पैदल ही ऑफिस पहुंचकर इस मुहिम का समर्थन करते दिखे। इसके साथ ही कई अन्य अधिकारियों व कर्मियों ने इस पहल की सराहना की है और साथ देने का संकल्प लिया।
जिलाधिकारी की इस पहल के बारे में कहा जा सकता है कि केवल दीवारों पर विज्ञापन लिखवाकर या उदाहरण देकर समझाने से बेहतर है कि कभी-कभी जनता के लिए उदाहरण भी बना जाए।