Not A Single Person Has Passed Matriculation In This Village Of Bihar

बिहार के इस गाँव में एक भी व्यक्ति मेट्रिक पास नहीं, आंगनवाड़ी नदारद प्राथमिक स्कूल भी 2 किमी दूर

आज हम 21वीं सदी के दूसरे दशक में जी रहे हैं। लोग मंगल ग्रह पर बस्ती बसाने की बात कर रहे हैं। दुनिया ग्लोबल हो चुकी है। पैसे भी डिजिटल करेंसी में बदल गये हैं। लेकिन, मदनपुर प्रखंड में एक ऐसा गांव भी है, जो विकास के दावों को मुंह चिढ़ा रहा है।

प्रखंड क्षेत्र के दक्षिणी इलाके में स्थित नक्सलग्रस्त तिलैया में कोई भी व्यक्ति मैट्रिक पास नहीं है। यू कहें, तो इस गांव में कोई साक्षर भी नहीं है। इस गांव में सड़क व बिजली के अलावा कुछ भी नहीं है।

प्राइमरी स्कूल छोड़िए आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं

आजादी के 73 वर्ष बाद भी इस गांव का एक भी व्यक्ति मैट्रिक पास नहीं है। अधिकतर लोग मजदूरी कर अपना भरण-पोषण करते हैं। तिलैया गांव मदनपुर प्रखंड मुख्यालय से 15 किमी दक्षिण दिशा में स्थित है।

Naxalite Tilaiya located in the southern area of Madanpur block
मदनपुर प्रखंड के दक्षिणी इलाके में स्थित नक्सलग्रस्त तिलैया

करीब 35-40 घर की आबादी वाले इस गांव में प्राइमरी स्कूल की बात छोड़िए आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं है। गांव के ज्यादातर लोग मजदूरी करते हैं। बच्चे स्कूल जाने के बजाय अपनी दिनचर्या के रूप में बकरी चराना, घास काटना, जलवान चुनने का काम करते हैं।

20 साल से किसी को भी नहीं मिला इंदिरा आवास

ग्रामीण तपेश्वर भुइंया कहते हैं कि गांव में 20 साल पहले घर बनाने के लिए कुछ लोगों को इंदिरा आवास मिला था। इसके बाद प्रधानमंत्री आवास किसी को नहीं मिला है। चंदन रिकियासन कहते हैं कि गांव में सिर्फ दो चापाकल से ग्रामीणों की प्यास बुझे रहे है।

गर्मी के दिनों में पानी के लिए परेशानी होती है। नरेश भुइंया कहते हैं कि नल-जल योजना के तहत यहां पर अभी तक पानी टंकी का निर्माण नहीं हुआ है। इस कारण ग्रामीणों के समक्ष गर्मी के दिनों में पेयजल समस्या गंभीर हो जाती है।

विकास के नाम पर गांव में केवल सड़क व बिजली

तिलैया के लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। इस गांव के एक भी व्यक्ति ने मैट्रिक तक शिक्षा प्राप्त नहीं की है। सरकार दलित पिछड़ों को शिक्षित करने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं, लेकिन इस गांव की आबादी निरक्षर है।

विकास के नाम पर आजादी के बाद केवल यहां सड़क और बिजली ही पहुंच पायी है। पानी, शिक्षा एवं स्वास्थ्य की सुविधाओं का घोर अभाव है।

गांव से दो किलोमीटर पर मध्य विद्यालय

गांव की लड़कियां सुनीता कुमारी, आरती कुमारी, पूनम कुमारी, प्रमिला कुमारी, सुनैना कुमारी ने बताया कि गांव में स्कूल या आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है। इस कारण यहां अभी तक एक भी युवक व युवती मैट्रिक पास नहीं है। गांव से दो किलोमीटर पर मध्य विद्यालय है। वहीं हाइस्कूल पांच किलोमीटर पर है, जिसके कारण परिजन विद्यालय नहीं जाने देते हैं।

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