दिन-रात मोबाइल में बिजी रहता था बेटा, फिर माँ ने किया कुछ ऐसा जीत लाया मेडल
वर्तमान समय में बच्चों का मुख्य खिलौना मोबाइल हो चुका है, बच्चे दिनभर या तो मोबाइल में गेम खेलते है या नहीं तो कार्टून देखते रहते हैं। मुजफ्फरपुर के दामूचक के रहने वाले 12 वर्षीय काव्या कश्यप भी 3 साल पहले तक ज्यादातर टाइम मोबाइल पर ही देता था।
काव्या का मोबाइल छुड़ाकर काव्या के माता पिता ने उसे जन्मदिन पर बैडमिंटन रैकेट दिया और एक कोच को हायर कर दिया। उसके बाद काव्या ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उसने बैडमिंटन में एक के बाद एक कई ट्राफियां जीती। और आज काव्या ने पूरे बिहार का नाम रोशन कर दिया है।
गौरवान्वित किया पूरे बिहार को
वर्तमान में ही काव्या ने वेस्ट बंगाल बैडमिंटन एसोसियेशन कोलकाता के तत्वाधान में योनेक्स सनराइज ऑल इंडिया सब जूनियर नेशनल रैंकिंग बैडमिंटन प्रतियोगिता 2023 के युगल मुकाबले में अंडर-13 में मुजफ्फरपुर से बिहार राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए रजत पदक जीतकर मुजफ्फरपुर के साथ-साथ पूरे बिहार को गौरवान्वित किया।
कोच और पिता का है बड़ा योगदान
बता दें की पश्चिम बंगाल में 9 जनवरी को प्रतियोगिता का युगल फाइनल मैच राजस्थान के 5वी वरीयता प्राप्त अंशुमान चौधरी एवं कन्दराप शर्मा और बिहार के प्रथम वरीयता प्राप्त काव्या कश्यप एवं मोहम्मद अब्दुल्लाह के बीच खेला गया था। जिसमें राजस्थान के खिलाड़ी ने कड़े मुकाबले में 21-14, 23-21 के अंतराल से बिहार के खिलाड़ी को शिकस्त दे दी।

रजत पदक जीतने वाले खिलाड़ी काव्या कश्यप ने बताया कि फाइनल नहीं जीतने का अफसोस है। लेकिन यहां तक पहुंचने में मेरे कोच समरेश सर और पिता का बहुत बड़ा योगदान है। मेरा सपना है कि ओलंपिक में भारत की ओर से स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रौशन करूं।
पहले बीजी रहता था मोबाइल
काव्या की मां नीतू कश्यप बताती हैं कि काव्या पहले बहुत मोबाइल में बीजी रहता था, जिसकी वजह से उसके हाथ में बैडमिंटन रैकेट थमाया, अब वो बिहार का नाम रोशन कर रहा है।
और पिता सुशांत प्रकाश चुनचुन बताते हैं कि बचपन से ही काव्य खेलने के प्रति शौक रखता था। बचपन में अपने घर के कैंपस में बैडमिंटन का रैकेट पकड़ने वाले काव्या ने कभी पीछे मुड़कर नही देखा। अब वो चाहते हैं कि उनका बेटा ओलम्पिक में भारत के लिए मेडल लेकर आए।
