बोझ नहीं वरदान है बेटियां, पढ़े बिहार की वर्दी वाली 7 बहनों की सफलता की कहानी
म्हारी छोरियां छोरों से कम है के… यह लाइन आपने कई बार सुनी होगी। इसका साफ मतलब है कि आज के समय में बेटियां बेटों से कम नहीं हैं। वो कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। बिहार के एकमा की रहने वाली सात बहनों की कहानी भी किसी प्रेरणा से कम नहीं है।
वर्दी वाली सात बहनों की संघर्ष और सफलता की कहानी हर किसी को छू लेने वाली है। ये सभी अपनी मेहनत से पुलिस विभाग में अलग-अलग जगह काम कर रही हैं। सच पूछा जाए तो एकमा गांव की वर्दी वाली ये सातो बहनें महिला सशक्तिकरण को सही मायनों में साकार कर रही हैं।
न बेटियां झुकीं और न ही उनके पिता
दरअसल, एकमा गांव के रहने वाले राजकुमार सिंह पेशे से आटा चक्की चलाने वाले मामूली कारोबारी थे। घर की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी। बहुत सामान्य से दिखने वाले राजकुमार सिंह के घर में एक-एक कर सात बेटियों ने जन्म लिया और फिर हुआ एक बेटा।
7 बेटियों वाले पिता राजकुमार सिंह पर घर परिवार का दबाव बना रहा कि जल्द से जल्द बेटियों की शादी कर दो। लेकिन, न तो बेटियां झुकीं और न ही उनके पिता झुके।
7 बहनें कर रही समाज और देश की सेवा
बेटियों के बुलंद हौसलों ने उन्हें सफलता के शिखर की ओर पहुंचने में बहुत मदद की। देखते ही देखते सातों बहनों ने बारी-बारी से किसी न किसी फोर्स को ज्वाइन करते हुए वर्दी धारण कर लिया। इन सभी ने राज्य पुलिस बल के अलावा अर्ध सैनिक बल में समाज और देश सेवा की भावना से प्रेरित होकर अपना योगदान दिया है।
सच तो यह है कि सामान्य परिवार की इन बच्चियों ने अपनी जिद और जुनून के बल पर ये मुकाम हासिल की है। सबसे बड़ी बहन रानी और उनसे छोटी रही रेणु ने पुलिस बल में आने के लिए गांव में ही शारीरिक अभ्यास शुरू किया। कई तरह के ताने सुनने को मिले लेकिन उनको तवज्जो न देते हुए यह बच्चियां आगे बढ़ती चली गईं।
पांच बहनें भी विभिन्न बलों में शामिल
साल 2006 में रेणुका का एसएसबी में कांस्टेबल पद पर अंतिम रूप से चयन हो गया। इससे बाकी की बहनों का भी हौसला बढ़ा। बड़ी बहन की शादी हो गई थी लेकिन इसके बावजूद 2009 में बड़ी बहन ने बिहार पुलिस में कांस्टेबल पद का एग्जाम क्लियर कर लिया। देखते ही देखते पांच बहनें भी विभिन्न बलों में शामिल कर ली गईं।
सेल्फ स्टडी और प्रैक्टिस की बदौलत मिली सफलता
हकीकत भी यही है कि यह सभी बहनें एक दूसरे के शिक्षक और ट्रेनर बनीं। सभी ने गांव के स्कूल में शिक्षा लेने और सेल्फ स्टडी और प्रैक्टिस की बदौलत नौकरियां हासिल कीं। ये बेटियां अपने पिता राजकुमार सिंह और आठवीं पास मां शारदा देवी के लिए अभिमान और गौरव की प्रतीक बन चुकी हैं।
इन 7 बहनों से प्रेरित होकर एकमा प्रखंड के दर्जनों गांव में लड़कियां पुलिस सेवा के लिए चुन ली गई हैं।
लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत
बड़ी बहन कुमारी रानी सिंह बिहार स्पेशल आर्म्ड पुलिस रोहतास, कुमारी पिंकी सिंह बिहार एंड स्पेशल आर्म्ड पुलिस में रोहतास, कुमारी रेनू सिंह एसएसबी गोरखपुर, कुमारी सोनी सिंह सीआरपीएफ दिल्ली, कुमारी रिंकी सिंह एक्साइज विभाग सीवान, कुमारी प्रीति सिंह क्राइम ब्रांच जहानाबाद और कुमारी नन्हे सिंह पटना जंक्शन पर जीआरपी में तैनात हैं।
इन सातों बहनों में रानी रेणु और कुमारी सोनी परिणय सूत्र में बंध चुकी है। सच तो यह हैं कि कभी ताने सुनने वाली यह सातों बहनों आज इलाके की बड़ी मिसाल बन गई हैं और कई लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत भी।