किसान ने नौकरी छोड़ शुरू की ब्रोकली की खेती, दोगुनी हो रही है कमाई
नालंदा के कई किसान 1.5 – 2 हजार खर्च कर आसानी से 40-50 हजार की कमाई कर रहे हैं। नालंदा के नूरसराय के सरदार बीघा गांव में 10 बीघा जमीन से दर्जनों किसान प्रदेश की नौकरी छोड़ लाभान्वित हो रहे हैं।
ब्रोकली की खेती कर रहे किसान सोहन और संजीव कहते हैं कि उनका जीविकोपार्जन प्रदेश में जाकर निजी कंपनी में मजदूरी कर चलाते थे। जहां उन्हें सिर्फ 8 से 10 हजार रुपये मिलते थे। इस रोजगार से उन्हें बचत नहीं होता था।
गांव के ही एक युवक ने दिल्ली में ब्रोकली की खेती के बारे में जानकरी दी और वहां के किसान इसकी खेती के बारे में बताया कि कैसे होता है। इसका कितना फायदा है। उसके बाद वे रोजगार छोड़कर गांव वापस आ गए और खेती शुरू की।
10 साल पहले गांव में ब्रोकली की खेती शुरु हुआ था
लगभग 10 साल पहले संजीव कुमार ने सबसे पहले गांव में ब्रोकली की खेती शुरू की। उसके बाद इनके फायदे जान वहां के दर्जनों किसान इस पेशे से जुड़े और खुशहाल जीवन व्यतीत करने लगे। अभी ब्रोकली की खेती जिले में करीब 15 से 20 बीघा खेत में सीजन में होती है।जिससे सैकड़ों किसान जुड़े हैं।
1.5 से 2 हजार खर्च कर 4 से 5 हजार रुपये की कमाई
बिहार में सबसे पहले ब्रोकली की खेती नालंदा ज़िला के नूरसराय प्रखंड के सरदार बीघा गांव से शुरू हुई थी। इसमें सवा 3 डिसमिल यानी एक कट्ठा में 400 पीस की हुई थी। प्रति पीस ब्रोकली कम से कम 10 रुपये में आसानी से बिकती है। ब्रोकली की खेती से किसान की आमदनी दुगनी होती है। एक कट्ठा में 1.5 से 2 हजार खर्च कर 4 से 5 हजार रुपये की कमाई होती है।
ब्रोकली सब्जी देखने में हरा रंग का फूलगोभी जैसा होता है। इस वर्ष सरदार बीघा गांव में 10 बीघा में किसानों ने ब्रोकली की खेती की है, जो लगभग 60 एकड़ में सब्जी की खेती करते हैं। हर खेत में किसान साल में 2 से 3 सब्जी उगाते हैं। इसमें मुख्य रूप से ब्रोकली पत्ता, फूल गोभी, टमाटर, मटर, धनिया, पालक लाल साग, बैगन, कद्दू है।

खेती के लिए कब है सही समय
ब्रोकली की खेती से जुड़े किसान कहते हैं कि अक्टूबर मध्य तक रोपनी की जाती है। इसकी नर्सरी 30 दिनों में तैयार हो जाती है। जो 70 दिन बाद फसल बाजार जाने लायक हो जाता है। शुरुआत 20 से 30 प्रति पीस बिकती है। किसानों को अपनी फसल बिहार शरीफ और नूरसराय मंडी में बेचना पड़ता है।
नूरसराय मंडी से पटना, दनियावां फतुहा के सब्जी विक्रेता खरीदार ले जाते हैं। यही नहीं इसके अलावा सुबह के विभिन्न इलाकों में ब्रोकली के खरीदार यहां पहुंचते हैं। किसानों ने कहते है कि ब्रोकली की खेती करने के लिए एक बीघा में 20,000 की पूंजी में 400 पीस ब्रोकली तैयार होता है और 40,000 की आमदनी होती है।
ब्रोकली खाने से क्या होता है फायद
एक रिसर्च के मुताबिक ब्रोकली के सेवन से कैंसर होने की आशंका कम होती है। यह देखने में गोभी की तरह लगती है या फाइबर का अच्छा स्रोत है। इसमें विटामिन सी, ए के अलावा प्रोटीन कैल्शियम आयरन सेलेनियम पॉलीफेनॉल पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
ब्रोकली वजन घटाने के लिए बहुत लाभदायक है। माना जाता है कि ब्रोकली में मौजूद फाइबर और पोटेशियम के गुण वजन को कम करने में मदद करता है, वहीं सेहत को भी बढ़ाता है।
