बिहार में ब्रोकली की खेती से बढ़ रही किसानों की आमदनी, महिलाओं को भी मिला रोजगार
बिहार में ब्रोकली के खेती से सेहत के साथ साथ किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है। बिहार सरकार के कृषि और सहकारिता विभाग के प्रयास से कोसी प्रभावित सहरसा जिले में ब्रोकली की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इस काम में मुख्य रूप से प्रवासी श्रमिक और महिलाओं को जोड़ा जा रहा है,ताकि उन्हें निर्धनता मिटाने के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराया जा सके।

आनेवाले दिनों में इसे आनलाइन व्यवसाय का रूप भी दिया जाएगा और ब्रोकली को दूसरे शहरों में भेजा जाएगा। इससे इन परिवारों में आर्थिक समृद्धि आएगी।
ब्रोकोली सेहत के लिए भी फायदेमंद
डॉक्टरों का मानना है, कि ब्रोकली अन्य सब्जी की अपेक्षा सेहत के लिए अधिक फायदेमंद है। डा. रंजेश कुमार सिंह कहते हैं, कि ब्रोकली में कई पोषक तत्व पाया जाता है। यह कई बीमारियों से बचाने के साथ ब्रेस्ट कैंसर, और प्रोस्टेट कैंसर के भी खतरे को कम करती है।
अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने और वजन कम करने की इच्छा रखनेवाले के लिए यह एक बेहतर विकल्प भी है। इसे कच्चा और पका कर भी खाया जाता है, परंतु उबाल कर खाना ज्यादा फायदेमंद है। इस सब्जी में आयरन, प्रोटीन, कैल्शियम, काब्रोहाईड्रेट, क्रोमोयम, विटामिन ए और सी पाया जाता है। इस लिहाज से इसकी मांग बढ़ती जा रही है।
कैसे करे ब्रोकली की खेती?
उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में ब्रोकोली उगाने का उपयुक्त समय ठण्ड का मौसम होता है। इसके बीज के अंकुरण तथा पौधों को अच्छी वृद्धि के लिए तापमान 20-25 C होना चाहिए। इसकी नर्सरी तैयार करने का समय अक्टूबर का दूसरा पखवाड़ा होता है।
पर्वतीय क्षेत्रों में क़म उंचाई वाले क्षेत्रों में सितम्बर- अक्टूम्बर, मध्यम उंचाई वाले क्षेत्रों में अगस्त, सितम्बर, और अधिक़ उंचाई वाले क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल में तैयार की जाती हैं।
इस फ़सल की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन सफ़ल खेती के लिये बलुई दोमट मिट्टी बहुत उपयुक्त है। जिसमें पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद हो इसकी खेती के लिए अच्छी होती है। हल्की रचना वाली भूमि में पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद डालकर इसकी खेती की जासकती है।
खेती के लिए किसानों को किया जा रहा है प्रशिक्षित

ब्रोकोली की बढ़ती मांग को देखते हुए प्रवासी श्रमिकों व जीविका से जुड़ी महिलाएं सरकारी सहयोग प्राप्त कर इसकी खेती से जुड़ रहे हैं। प्रथम चरण में जिले के कुछ पंचायतों ने अपनी बदौलत किसानों ने इसकी खेती प्रारंभ किया, जिसका सार्थक परिणाम सामने आया है।
अब बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक व महिलाएं ब्रोकोली की खेती की ओर आकर्षित हो रही है। इन किसानों को खेती का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
इस क्षेत्र में ब्रोकोली की खेती शुरू हो गई है। इसकी काफी मांग है। इसे देखते हुए किसानों को ब्रोकली की खेती के लिए प्रशिक्षण व अन्य सुविधाएं भी दी जाएगी। इससे लोग काफी लाभांवित होंगे। – दिनेश प्रसाद सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी, सहरसा।