दुबई से बिहार लौटे शख्स ने शुरू की वैज्ञानिक फार्मिंग, अब कमा रहे 7 लाख से अधिक मुनाफा
बिहार के सीवान के धर्मा गुप्ता द्वारा की गई खेती ने उनकी तकदीर बदल दी है। हालांकि शुरू में धर्मा को परिवार का विरोध झेलना पड़ा था। लेकिन सफलता मिलने के बाद परिवार के चेहरे पर रौनक लौट आई है। अब 37 वर्षीय धर्मा गुप्ता ढाई बीघा भूमि को लीज पर लेकर प्राकृतिक खेती से सालाना सात लाख से अधिक की आय अर्जित कर रहे है। सीवान जिले के हसनपुरा प्रखंड के उसरी खुर्द गांव के रहने वाले शिवनाथ साह के 37 वर्षीय पुत्र धर्मा गुप्ता आज क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत है।

धर्मा बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में काफी तंगी देखी है। पैसा अर्जित के लिए उन्होंने खाड़ी देश दुबई और कतर में राजमिस्त्री का तकरीबन 6 वर्षों तक काम किया। लेकिन कोरोना महामारी शुरू होते ही काम मिलना बंद हो गया। इसके बाद हम दिहाड़ी-मज़दूरी के बीच भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई।

जब वह अपने घर लौटे तो वर्ष 2020 में यूटयूब के माध्यम से प्राकृतिक खेती की जानकारी ली। तकरीबन 6 माह तक खेती के लिए भूमि की तलाश करने के बाद गांव में ही प्रति वर्ष 40 हजार रुपये में 3 साल के लिए लीज पर भूमि उपलब्ध हो पाई।
परिवार ने किया विरोध

इस बीच परिवार ने इसका काफी विरोध किया। बावजूद परिश्रम और जुनून के आगे ढाई बीघा भूमि में प्राकृतिक खेती करनी शुरू की। परिणाम देख परिवार के सदस्य भी खुश हुए और आज परिवार उनका साथ दे रहा है।
उन्होंने बताया कि लीज पर लिए गए भूमि में 3 एकड़ जी-9 नस्ल के 26 सौ पौधे और एक बीघा के भूमि में मिर्चा, 10 कट्ठे में ककरी, 10 कट्ठे की भूमि में भिंडी और 12 कट्ठा में करेला के फसल तैयार है।
25 से 30 किलो की होती है केले की छेमी

धर्मा गुप्ता बताते हैं कि वह एमपी के किसी कंपनी से जी-9 नस्ल के केले के पौधे लिए थे। खेती में मार्च से जुलाई तक अधिक पटवन के बदौलत ही हर एक पौधे में 25 से 30 किलो की केले की छेमी उपलब्ध हो जाती है। फिलहाल उन्हें सरकारी लाभ की दरकार का है।