बिहार में अब नहीं होगी खाद की कमी, शुरू हुआ खाद का उत्पादन
बिहार में बरौनी खाद कारखाना से यूरिया का उत्पादन का कार्य मंगलवार की देर रात से शुरू हो गया। जैसे ही यूरिया का उत्पादन शुरू हुआ, कार्यरत कर्मी व अधिकारी बहुत खुशी हुए। यूरिया के दानों को उछालकर कर्मी व अधिकारी खुशी का इजहार करते हुए देखे गये।
केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल हिन्दुस्तान उर्वरक रसायन लिमिटेड (हर्ल) के मार्केटिंग विभाग के द्वारा उत्पादित यूरिया को बुधवार को डिस्पैच भी किया गया।
युद्धस्तर पर हो रहा था कार्य
बरौनी खाद कारखाना से यूरिया का उत्पादन शुरू करने को लेकर दो महीने से युद्धस्तर पर काम हो रहा था। 1 हफ्ते से हर्ल के अधिकारी यूरिया उत्पादन का कार्य शुरू करने के लिए ट्रायल कर रहे थे।
जब 8 अक्टूबर से अमोनिया उत्पादन शुरू हुआ था, तभी से यूरिया उत्पादन का ट्रायल का कार्य भी शुरू कर दिया गया था। कारखाना से यूरिया का उत्पादन शुरू होने के बाद हर्ल प्रबंधन की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को उदघाटन के लिए अनुरोध भी भेजा जा चुका है। बहुत जल्द कारखाना का उदघाटन भी हो जाएगा।

भूगर्भीय जल की जगह उपयोग होगा गंगाजल
प्राकृतिक गैस आधारित बरौनी कारखाना में यूरिया उत्पादन में भूगर्भीय जल की जगह गंगाजल का उपयोग किया जाएगा। गंगा में कुआं बनाकर कारखाना तक पाइप बिछाने का कार्य शुरू भी हो गया है।
प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा योजना से बिहार, यूपी, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा को एकीकृत करने के अंतर्गत बरौनी खाद कारखाना को भी प्राकृतिक गैस की आपूर्ति के लिए पाइपलाइन से जोड़ा गया है।
प्रतिदिन 3850 टन यूरिया का होगा उत्पादन
336 एकड़ में बन रहे बरौनी खाद कारखाने के निर्माण कार्य पर पहले 7043 करोड़ रुपये खर्च होने थे। पर समय से कार्य पूरा नहीं होने के कारण राशि बढ़कर 8387 करोड़ रुपये हो गयी। कारखाने से प्रतिदिन 3850 मीट्रिक टन नीमकोटेड यूरिया व 2200 मीट्रिक टन अमोनिया का उत्पादन होगा।
