पूर्णिया जिले की ये पांच प्राचीन मंदिर, बंगाल व नेपाल से आते हैं श्रद्धालु, यहाँ झाड़ू लगाने से बनते हैं बिगड़े काम
बिहार राज्य में स्थित पूर्णिया जिला अपने ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिरों के कारण प्रसिद्द है। यहाँ की मशहूर मंदिरों में काली मंदिर (City kali temple purnea) भी शामिल है, जो कि सोन नदी तट पर स्थित है। यह लगभग 250 साल पुराना है।
बंगाल, उड़ीसा और नेपाल से आते हैं श्रद्धालु

मान्यता है कि अमावस्या तिथि को मंदिर में विशेष पूजा अनुष्ठान होता है । इस मंदिर में बिहार, बंगाल, उड़ीसा और नेपाल से पूजा करने श्रद्धालु भारी संख्या में आते है।
मां कामाख्या मंदिर का इतिहास 400 साल पुराना

पूर्णिया केनगर प्रखंड के मजरा पंचायत में स्थित मां कामाख्या मंदिर (maa kamakhya temple purnea) भी अपने आप में विशेष महत्व रखता है । यह बहुत प्राचीन और एतिहासिक है। जानकारों को मानना है कि माता का यह मंदिर लगभग 400 साल से अधिक पुराना है। इस मंदिर में कुष्ठ या चर्म रोग के मरीज सिर्फ झाड़ू लगाने मात्र से स्वस्थ हो जाते हैं।
माता स्थान का अनोखा महत्व

पूर्णिया के प्राचीन मंदिरों में माता स्थान मन्दिर भी शामिल है, जिसका इतिहास 500 साल पुराना बताया जाता है। यह पूर्णिया के चूनापुर में स्थित है और इसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आकार अपनी मन्नते मांगते हैं। यहां सुबह से लेकर शाम तक भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है।
पूरनदेवी मंदिर में पूर्ण होती है मनोकामना
जिले में माता पूरनदेवी मंदिर (puran devi temple purnea) काफी प्रसिद्द है। यह 600 साल पुराना इतिहास अपने अंदर समेटे हुए है। पूर्णिया का यह मंदिर हिंदू-मुस्लिम तहजीब का प्रतीक है। जानकारी के लिए बता दें कि इसी मंदिर के नाम पर पूर्णिया का नाम भी पड़ा हैं ।माना जाता है कि इस मंदिर के लिए जमीन मुस्लिम समुदाय के शौकत अली नाम के नवाब ने दी थी। मंदिर में नेपाल, बंगाल सहित अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु आते हैं व संतान प्राप्ति कि मनोकामना रखते हैं।

महादेव चौमुखी रूप में विराजमान
पूरनदेवी माता मंदिर कैंपस के दाहिने तरफ महादेव चौमुखी रूप में विराजमान हैं । मंदिर के पुजारी का कहना है कि इस चौमुखी शिवलिंग की स्थापना हट्टीनाथ नामक महात्मा के द्वारा की गई थी । इस जगह लोग दूर-दूर से आकर पूजा अर्चना करते हैं ।