बिहार में एप्पल बेर की खेती कर कमाए लाखों रुपए, पढ़िए दो भाइयों की कहानी
परंपरागत रूप से मां शारदे की अराधना में बेर फल को प्रसाद के रूप में उपयोग होती रही है। सरस्वती पूजा का प्रसाद बिना बेर पूरा नहीं होता है। ऐसे में बिहार में बांका में दुर्गापुर का एप्पल बेर (Apple berry) धूम मचा रहा है। पूजा को लेकर झारखंड के कई शहरों के साथ बनारस और भागलपुर तक से डिमांड आ रही है। थोक व्यापारी ही इसे अभी छह से आठ हजार रुपये क्विंटल खरीद रहे हैं। दरअसल, रजौन प्रखंड के दुर्गापुर गांव में दो भाई प्रगतिशील किसान हिमांशु सिंह और कुंजबिहारी सिंह ने पहली बार सात बीघा में एप्पल बैर (Apple berry) की खेती की है। अभी पेड़ को लगाए मुश्किल से आठ महीना हुआ है।
अपनी साढ़े तीन बीघा जमीन के साथ लीज पर जमीन लेकर पिछले अप्रैल-मई में करीब चार हजार एप्पल बेर (Apple berry) का पौधा कोलकाता से लाकर लगाया। अभी आठ महीने से भी कम समय में पेड़ में सेब का आकार और रंग देखकर सतबिघिया बगान इलाके में आकर्षण का केंद्र बन गया है। काश्मीरी सेब की तरह लाल-लाल बेर से भरा पेड़ देखने लोग पहुंच रहे हैं। बिहार में पहली बार इतनी मात्र में एप्पल बेर (Apple berry) की सफल खेती हो रही है।
एप्पल बेर में भी कई पौष्टिक तत्व
पहले बेर खाने पर अभिभावक बच्चों की पिटाई करते थे। इसे कफ कारक माना जाता था। लेकिन एप्पल बेर (Apple berry) अन्य फलों की तरह की काफी गुणकारी है। इसका स्वाद भी मीठा और खाने में रसीला है।
इस बेर में प्रचुर मात्रा में कैलोरी के साथ विटामिन सी व ए, पोटैशियम, कैल्सियम और फास्फोरस की मात्रा है। इतनी मात्रा में पोषक तत्व दूसरे फलों में नहीं होती है। खासकर पास के गांव में उपजा ताजा फल उन्हें उपलब्ध है।
सात बीघा में लगाया चार हजार पौधा
किसान भाईयों ने बताया कि इस इलाके में खेती की स्थिति खराब रही है। बंगाल के एक व्यक्ति के संपर्क में आकर पिछले साल उन्होंने कुछ पौधा लगाया था। बेर का फलन देख कुछ महीने में ही हिमांशु और कुंजबिहारी ने बड़े पैमाने पर इसकी खेती का फैसला कर लिया। जमीन लीज लेकर पौधा लगा दिया।
वे बताते हैं कि पौधा पहले साल का है। इसके बाद भी अधिकांश पेड़ में एक किलो तक बेर है। इस इलाके के बाजारों में एप्पल बेर (Apple berry) नहीं है। इसका स्वाद सुगवा बेर से काफी बेहतर है। बेर का रंग भी लोगों को आकर्षित कर रहा है। अभी उनके पास 40 क्विंंटल तक बेर तैयार है। इससे आसपास के बाजारों में भेजकर सरस्वती पूजा होगी।