बिहार के लोग अब लेंगे सलाद मटर की हेल्दी डायट, हेल्थ के साथ कमाई का भी मौका जाने
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (पूर्वी भाग) खानपान का शौक रखने वालों के लिए एक बड़ी खुशखबरी लेकर आई है। अब तक आप सलाद के रूप में खीरा, गाजर, टमाटर और प्याज का मजा लेते रहे हैं। लेकिन अब आप इसके लिए ‘सलाद मटर’ (स्नो पी) का भी मजा ले सकते हैं। बेंगलुरु, लुधियाना, पंजाब और रांची की तर्ज पर बिहार में भी अब ‘सलाद मटर’ की खेती सफलतापूर्वक की गई है।
इसमें अधिक मात्रा में सहजपाच्य प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन पाए जाते हैं। दहलनी फसल होने के कारण यह वायुमंडलीय नाइट्रोजन को भूमि में संचित करती है, जिससे जमीन की उर्वरा बढ़ती है और अगली फसल को नाइट्रोजन का लाभ मिलता है। इसका बीज बनने से पहले पूरी फली, जो कि अधिक मिठास युक्त होती है, उसे सलाद के रूप में कच्चा या पकाकर भी खाया जाता है।
![Now enjoy salad peas in Bihar](https://ararianews.com/wp-content/uploads/2022/02/Now-enjoy-salad-peas-in-Bihar.jpg)
क्या है खेती की तरीका?
कृषि अनुसंधान परिषद के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर अनिल कुमार सिंह बताते हैं कि बिहार के किसान भी ‘सलाद मटर’ की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इससे विदेशी बाजार की बढ़ती मांग को भी पूरा किया जा सकता है। इसकी बुवाई अक्टूबर से नवंबर के पहले सप्ताह तक कर लेनी चाहिए। इसके लिए एक हेक्टेयर खेत में 80-100 किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है।
![snow pea farming in bihar](https://ararianews.com/wp-content/uploads/2022/02/snow-pea-farming-in-bihar.jpeg)
उन्होंने बताया कि दलहनी फसल होने के कारण अच्छी पैदावार के लिए प्रति हेक्टेयर जमीन में 200 से 250 क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद खेत की तैयारी के समय देना उचित होता है।
कम लागत में अच्छा मुनाफा
इसके अलावा 22 किलोग्राम यूरिया, 375 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 67 किलोग्राम न्यू रेट ऑफ पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की अंतिम जुताई के समय मिला देना चाहिए। शीतकालीन फसल होने के कारण ‘सलाद मटर’ में सिंचाई अपेक्षा कम लगती है। प्रायः 7 से 10 दिनों में एक बार इसकी सिंचाई करना पर्याप्त होता है।
![Good profit at low cost in cultivation of salad peas](https://ararianews.com/wp-content/uploads/2022/02/Good-profit-at-low-cost-in-cultivation-of-salad-peas.png)
उन्होंने बताया कि सलाद मटर की फलियां को तोड़ते समय इसका विशेष ध्यान रखना है कि मटर का तना बहुत ही कोमल होता है। इसलिए इसे ध्यान पूर्वक तोड़ने की आवश्यकता है, ताकि पौधे अव्यवस्थित ना हो जाए। उन्होंने बिहार के किसानों को इसकी खेती कर कम जगह, कम लागत में अच्छे मुनाफा कमाने का एक बढ़िया जरिया बताया है।