बिहार में आईटीआई की पढाई करने वाले डेढ़ लाख स्टूडेंट्स को सरकार ने दी राहत
बिहार की नीतीश सरकार ने आईटीआई के छात्रों को बड़ा तोहफा दिया है। इसका लाभ बिहार के डेढ़ लाख से ज्यादा आईटीआई के छात्रों को मिलेगा। इस फैसले का सीधा असर बिहार में आईटीआई की पढ़ाई कर रहे छात्रों पर पड़ेगा। कोरोना काल के बाद बिहार सरकार की तरफ से छात्रों को दिए गए इस तोहफे का लाभ जितना छात्रों को मिलेगा उतना ही लाभ छात्रों के अभिभावकों को भी होगा।
बिहार सरकार ने आइटीआइ के सभी विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन फीस नहीं लेने का फैसला लिया है। शुक्रवार को श्रम संसाधन और सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जिवेश कुमार ने इसकी जानकारी दी। कहा कि विभाग की ओर से इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है।
अधिक वसूल रहे थे आइटीआइ संचालक
मंत्री जिवेश कुमार ने बताया कि आइटीआइ के विद्यार्थियों के हित में रजिस्ट्रेशन फीस माफ करने का फैसला लिया गया है। इससे पहले श्रम संसाधन विभाग की ओर से आइटीआइ के सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों से 100 रुपये और अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों से 50 रुपये रजिस्ट्रेशन फीस लेने का प्रविधान था।
जिवेश कुमार ने स्पष्ट कर दिया की सरकार की तरफ से यह फैसला छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। आपको बता दें कि विभाग को ऐसी शिकायतें मिली थीं कि कुछ आईटीआई संचालक प्रविधान की अवहेलना कर 200 रुपये प्रति विद्यार्थी रजिस्ट्रेशन फीस वसूल किया जा रहा है।
संघ ने सौंपा ज्ञापन
बिहार राज्य प्राईवेट आईटीआई प्रगतिशील संघ ने विभागीय अधिकारियों के इस रवैये के खिलाफ बीते फरवरी में राज्य के श्रम संसाधन मंत्री जिवेश कुमार को एक ज्ञापन सौंपा। संघ ने साफ कहा कि जब प्राईवेट आईटीआई की सम्बद्धता केंद्र सरकार की संस्थान एनसीवीटी देती है तो फिर पंजीयन शुल्क किस आधार पर ली जा रही है। संघ के इस दलील पर मंत्री ने सहमति जताई।
निजी आईटीआइ के खिलाफ अधिक शिकायतें
खासकर ऐसी शिकायतें निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों से मिली थीं। अब सरकार के फैसले से यह तय है कि हर साल आइटीआइ में नामांकन लेने और पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों का रजिस्ट्रेशन फीस नहीं देना पड़ेगा। इस फैसले के बाद से अब छात्र राहत महसूस कर रहे हैं।