भारतीय सेना के रिटायर्ड जवान ने ट्रेनिंग देकर 300 युवाओं को सेना व पुलिस में दिलाया सिलेक्शन, पढ़े कहानी
सेना अथवा सरकारी सेवा से रिटायर होने वाला व्यक्ति उम्र के खास पड़ाव पर पहुंच जाने के कारण शारीरिक रूप से जरूर कमजोर हो सकते हैं पर उनके दशकों के अर्जित अनुभव, उर्जा, बौद्धिक क्षमताओं का उपयोग किया जाए तो समाज व देश का काफी भला हो सकता है। इसे साबित किया है पटना के बिदुपुर के रमदौली गांव निवासी फौज से रिटायर हवलदार लालबहादुर सिंह ने।
देश की सरहदों की सुरक्षा करते रिटायर होने के बाद समाजसेवा के रूप में उन्होंने दूसरी पाली शुरू की। गुजरे 20 वर्षों में सैंकड़ों युवक-युवतियों को ट्रेनिंग देकर सैन्य व पुलिस सेवा के लिए सेलेक्ट कराया। गृह जिला वैशाली समेत बिहार के कई जिलों के युवक-युवतियां आवासीय व गैर आवासीय ट्रेनिंग ले रहे हैं। फिलवक्त एकेडमी में 400 युवक-युवतियां ट्रेनिंग ले रहे हैं।

पहले बैच में 73 में से 72 प्रतिभागी सेलेक्ट
गांव और आसपस के इलाके में जाकर अभिभावकों से बात की। अपना प्रयोजन-उद्येश्य बताकर उन लोगों को अपने युवा बेटे-बेटियों को ट्रेनिंग में भेजने की अपील की। जिले में पहले से ट्रेनिंग के नाम पर एकेडमी चल रही थी जहां मोटी फीस वसूले जाते थे।
नाम मात्र के शुल्क पर ट्रेनिंग की जानकारी मिलने पर पहले बैच में ही 200 युवक-युवतियों ने रजिस्ट्रेशन कराया। कठोर अनुशासनबद्ध ट्रेनिंग के कारण 200 में से 73 ने ही कंटीन्यू किया। बाकी एकेडमी छोड़कर भाग गए।

73 युवाओं ने एकेडमी का अनुशासन पालन करते हुए ट्रेनिंग ली जिसका सुखद परिणाम भी सामने आया। पारा मिलिट्री, आर्मी व सीआईएसएफ की बहाली में 73 में 72 ट्रेनिंग पाने वाले नौजवान सेलेक्ट हुए।
युवकों को आवारागर्दी करते देख आया ख्याल
आर्मी से रिटायर्ड हवलदार एलबी सिंह ने बताया कि वर्ष 2002 में रिटायर होकर घर आ गए थे। पहले ही प्लान किया था कि रिटायरमेंट के बाद घर आकर पुस्तैनी खेती-बारी करेंगे। जब वे घर आए तो घुटन और बेचैनी महसूस होने लगी।
फौज का अनुशासित व रूटिनबद्ध जीवन शैली थी। यहां घर पर बैठे-बैठे समय काटना मुश्किल हो रहा था। सेहत को फिट रखने के लिए सुबह-शाम जॉगिंग के लिए निकला करते थे।

ऐसे में गाँव और आसपास के नौजवानों की गतिविधि नजदीक से देखने-समझने का मौका मिला। ज्यादातर युवक आवारागर्दी, नशापान में डूबे थे। उन्हें लगा देश की सरहद की सुरक्षा से कहीं ज्यादा देश के भविष्य यानि युवाओं की सुरक्षा, सही दिशा देना जरूरी है।
हर साल ट्रेनी युवाओं को मिल रही है कामयाबी
2004 में एकमुश्त 72 युवाओं को मिली कामयाबी के बाद हवलदार एलबी सिंह व उनके ट्रेनिंग सेंटर की धूम मच गई। साल दर साल इस सेंटर से ट्रेनिंग लेने वाले युवक-युवतियां सेलेक्ट होते रहे।
2016 में हवलदार एलबी सिंह ने सोनू5मोनू फिजिकिल ट्रेनिंग सेंटर के नाम से संस्था का रजिस्ट्रेशन कराया। बगल में खाली पड़ी पॉल्ट्री फॉर्म को लीज पर लेकर उसे सुसज्जित कर हॉस्टल का रूप दिया।
वैशाली, मुजफ्फरपुर, छपरा आदि के युवा ले रहे प्रशिक्षण
फिलवक्त फौजी एलबी सिंह के ट्रेनिंग कैंप में वैशाली, मुजफ्फरपुर, छपरा, बेगूसराय, बेतिया, सीतामढ़ी, दरभंगा आदि जिलों के करीब 400 युवक-युवतियां एडमिशन ले रखा है। बताते चलें कि 2020 में सिपाही भर्ती की वैकेंसी आई थी।
पिछले साल 2021 में भर्ती परीक्षा व फिजिकल टेस्ट लिए गए। रिटेन एक्जाम क्वालीफाई करने वाली एकेडमी की 35 युवतियां फिजिकल टेस्ट में भी पास कर सिपाही में भर्ती हुईं। वहीं 9 युवतियां पारा मिलिट्री और सीआरपीएफ में चुनी गई है। क्वालीफाई करने वालों में युवकों की संख्या कम है।
न्यूनतम शुल्क लेकर ट्रेनिंग
एकेडमी संचालक हवलदार एलबी सिंह ने बताया कि गैर आवासीय ट्रेनिंग निशुल्क है। होस्टल में रहकर ट्रेनिंग पाने वाले दूर-दराज जिलों के बच्चों से केवल आवासन-भोजन के लिए 3000 रूपए प्रतिमाह लिए जाते हैं।
वहीं एकेडमी से ट्रेनिंग लेकर सैंकड़ों युवक-युवतियां फौज में या पुलिस सेवा में हैं। उन्होंने एकेडमी को भूला नहीं है। उनसे हर माह अथवा समय-समय पर संस्था को आर्थिक मदद मिल रही है।