वाह रे बिहार, मोबाइल फ़्लैश की रौशनी में ग्रेजुएशन की परीक्षा, धड़ल्ले से हुआ नक़ल
बिहार में शिक्षा के बजट पर भले ही 38 हजार करोड़ यानि सर्वाधिक बजट खर्च की जाती है लेकिन स्थिति अब भी बदतर है। मीडिया के हाथ एक वीडियो लगा है जिसे देखकर आप भी सोचेंगे कि आखिर परीक्षा के नाम पर ये कैसा मजाक हो रहा है। सिस्टम की ये बदरंग तस्वीरें पोल खोल रही है उस सच्चाई की जहां गुणवत्ता शिक्षा देने की सरकार बात करती है लेकिन धरातल पर चिराग तले अंधेरा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।
तस्वीरें पटना के नेउरा के बांसरोपण राम बहादुर सिंह यादव कॉलेज कन्हौली की है जहां मोबाइल के टॉर्च की रोशनी में ग्रेजुएशन के छात्रों ने दो घंटे तक परीक्षा दी और खुलेआम कदाचार की गंगा में छात्र गोता लगाते रहे।

बच्चों ने मजबूरन मोबाइल के टॉर्च जलाकर परीक्षा दिया
दरअसल पाटलिपुत्र विश्विद्यालय के छात्रों की पार्ट 1 और पार्ट 2 की परीक्षा चल रही है और परीक्षार्थी इस सेंटर पर परीक्षा दे रहे हैं लेकिन बिजली खराब होने की वजह से 21 जुलाई को परीक्षा हॉल में अंधेरा छाया था और परीक्षा शुरू होने तक बिजली ठीक नहीं कराई गई ना ही वैकल्पिक इंतजाम किए गए।

ऐसे में बच्चों ने मजबूरन मोबाइल के टॉर्च जलाकर परीक्षा दिया। कमरे में तकरीबन 100 से ज्यादा परीक्षार्थी मौजूद थे, जहां सभी ने टॉर्च जलाकर प्रश्न पत्र को हल करने का काम किया।
परीक्षा हॉल में मोबाइल फोन ले जाना वर्जित
परीक्षार्थियों की मानें तो इस सेंटर पर जहां छत से पानी टपकता है वहीं बैठने के लिए सही से बेंच डेस्क तक नहीं है, बावजूद इस केंद्र पर परीक्षा ली जा रही है। अब सवाल उठता है कि परीक्षा हॉल में जब मोबाइल फोन ले जाना वर्जित है और किसी प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक गैजेट पर प्रतिबंध है तो फिर ये नौबत क्यों आई कि बच्चों को मोबाइल के टॉर्च जलाकर परीक्षा देनी पड़ी।
इसको लेकर विश्विद्यालय प्रशासन के तरफ से अब तक कोई इंतजाम नहीं किया गया है और अब किसी तरह जेनरेटर चलाकर परीक्षा तो ली जा रही है लेकिन अब भी कुव्यवस्था का सेंटर पर आलम बरकरार है।
