Bihar farmer started strawberry cultivation by watching youtube

बिहार के किसान ने यूट्यूब देख शुरू कर दी स्ट्राबेरी की खेती, आनलाइन बिक्री, जानिए यह तकनीक

बिहार में गोभी की खेती करने वाले किसान खगेश मंडल आज स्ट्राबेरी की सफल खेती कर रहे हैं। स्ट्राबेरी के लाल होने के पूर्व ही सारे फल आनलाइन बिक जा रहे हैं। खेत में लगे पौधों में अभी फूल आना शुरू भी नहीं हुआ है, कि एक क्विंटल फल बुक हो चुके हैं। खगेश ने यूट्यूब देखकर स्ट्राबेरी की खेती शुरू की है। अब इस कार्य में बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक भी उनकी मदद कर रहे हैं। खरीक प्रखंड के उस्मानपुर के किसान 2018 के पहले गोभी की खेती करते थे। इससे किसानों को बहुत अधिक फायदा नहीं हो पा रहा था। किसान अच्छी आमदनी देने वाली फसल का विकल्प तलाश रहे थे। खगेश मंडल ने यूट्यूब पर स्ट्राबेरी की खेती की जानकारी ली। इसके बाद बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से संपर्क किया।

बीएयू के वैज्ञानिक डा. रामदत्त ने आस्ट्रेलिया-इंडिया काउंसिल प्रोजेक्ट के तहत उक्त गांव के किसानों को स्ट्राबेरी की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया। सारी सुविधाएं उपलब्ध कराते हुए खेती की तकनीकी जानकारी दी। खगेश ने अपने सहयोगी किसान के साथ 2018 में महाबलेश्वर पुणे से सात हजार पौधे लाकर आधा एकड़ में लगाया। एक पौधा 15 रुपये में खरीदा था। पहले साल ही अच्छी फसल हुई। बिहार कृषि विश्वविद्यालय के मीडिया सेंटर से प्रचार-प्रसार होने के कारण सारे फल आनलाइन बिक गए। भागलपुर सहित बांका, खगडिय़ा व कटिहार के ग्राहक ने स्ट्राबेरी को हाथों हाथ खरीद लिया।

strawberry farming in bihar
बिहार में स्ट्राबेरी की खेती

किसान खगेश मंडल ने बताया कि इस बार एक एकड़ में स्ट्राबेरी की खेती की गई है। पौधे में फूल आना शुरू हो गया है। मार्च में फल तैयार हो जाएगा। फसल लगाने में डेढ़ से दो लाख रुपये खर्च आता है, जबकि आमदनी पांच से छह लाख रुपये तक हो जाती है। मार्च में प्रतिदिन एक क्विंटल स्ट्राबेरी की तोड़ाई होती है।

आनलाइन करते हैं बिक्री

खगेश उत्पादित स्ट्राबेरी की बिक्री आनलाइन कर रहे हैं। तीन सौ रुपये प्रति किलो लोग स्ट्राबेरी खरीद लेते हैं। आनलाइन बिक्री के एक लिए वाट्सएप ग्रुप बनाया गया है। इस ग्रुप पर खेतों से लेकर उत्पाद व पैकेजिंग तक की फोटो शेयर की जाती है। जिन्हें हमारा उत्पाद पसंद आता है, वे हमसे फोन लाइन पर जुड़ जाते हैं। लोकेशन मिलते ही हम उनके घर तक स्ट्राबेरी भिजवा पहुंचा देते हैं। सबौर कृषि विश्वविद्यालय के मीडिया सेंटर के माध्यम से प्रचार-प्रसार भी होता है।

strawberry cultivation
स्ट्राबेरी की बिक्री आनलाइन

जुगाड़ से कर रहे ड्रिप सिंचाई

खगेश जुगाड़ से खेतों में ड्रिप सिंचाई कर रहे हैं। इसके लिए दो सौ लीटर का ड्राम पांच फीट की ऊंचाई पर रखा जाता है। हाफ एचपी के मोटर से पानी ड्राम में जाता है और ड्राम से पाइप के माध्यम से पानी खेत में जाता है। प्रयोग के तौर पर 20 हजार रुपये खर्च कर ड्रिप से सिंचाई कर खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उद्यान विभाग ड्रिप सिंचाई के लिए सहयोग लिया जाएगा।

पपीता के भी लगाए हैं 200 पौधे

खगेश ने खेतों में पपीता के पौधे भी लगाए हैं। रेड लेडी व 786 किस्म के पपीते की मांग बहुत अधिक है। खगेश पपीते के पौधे खुद तैयार करते हैं। इस साल उन्हें पपीते से अच्छी आमदनी होने का अनुमान है। हालांकि बारिश की वजह से कुछ पौधे को नुकसान पहुंचा है।

जिले में कई किसान स्ट्राबेरी की खेती कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी दोगुनी हो रही है। ऐसी खेती करने के लिए और भी किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। – विकास कुमार, सहायक निदेशक, उद्यान

इनपुट – Jagran

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