JEE Mains की परीक्षा में बिहार के आदित्य अजय ने किया टॉप, मिले 99.99% अंक

जेईई मेन की परीक्षा का रिजल्ट जारी कर द‍िया गया है। बिहार के पूर्वी चंपारण के रहने वाले आदित्य अजेय ने 99.99 प्रतिशत अंक प्राप्त किये। आदित्य इस परीक्षा में बिहार के टॉपर बने हैं। उन्हें देशभर में सातवां स्थान मिला है। पूर्वी चंपारण के रहने वाले आदित्य अजेय के पिता अजय कुमार सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं। आदित्य ने जेईई मेन की तैयारी कोटा से की है।

IIT मुंबई से कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई का लक्ष्‍य

जेईई मेंस की परीक्षा में स्टेट टॉप करने वाले पताही प्रखंड क्षेत्र के बेलाही गांव निवासी शिक्षक अजय कुमार के पुत्र आदित्य अजेय का अब अगला सपना आईआईटी मुंबई से कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई करना व इसमें बेहतर सफलता हासिल करना है।

Aims to study Computer Science from IIT Mumbai
IIT मुंबई से कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई का लक्ष्‍य

आईआईटी जेई मेंस का परीक्षा परिणाम सोमवार को जारी होने के बाद आदित्य की सफलता पर पूरे गांव में खुशी की लहर है। उसने अपनी प्रतिभा के दम पर पूर्वी चंपारण का मान एक बार फिर राज्य स्तर पर बढ़ाया है।

बिहार टॉपर बनने का गौरव हासिल

आदित्य अजेय ने परीक्षा में 99.99 फीसद अंक अर्जित कर बिहार टॉपर बनने का गौरव हासिल किया है। उनकी इस उपलब्धि पर घर और गांव में खुशी की लहर है। आदित्य अजय ने प्राइमरी तक की शिक्षा गांव व पंचायत में ही प्राप्त की।

Aditya has become the topper of Bihar in this examination.
आदित्य इस परीक्षा में बिहार के टॉपर बने हैं
Photo Credit – Hindustan

इसके बाद उन्होंने मैट्रिक की पढ़ाई रामकृष्ण विद्यापीठ देवघर से की। इसके बाद उन्होंने चकिया स्थित लेवाना स्कूल में नामांकन लिया और यहीं से इंटर की परीक्षा दी है, जिसका परिणाम अभी नहीं है। आदित्य अजय बचपन से ही पढ़ने में अच्छे थे।

स्वाध्याय से बेहतर सफलता का कोई मूलमंत्र नहीं

उन्होंने दसवीं की परीक्षा में भी 98 फ़ीसद अंक प्राप्त किए थे। पूछे जाने पर आदित्य अजय ने बताया कि वे अब परीक्षा के दूसरे चरण की तैयारी में जुटेंगे। उनका सपना आईआईटी मुंबई से कम्प्यूटर साइंस की पढ़ाई करना है।

यहां बता दें कि वर्ष 2020 में कोरोना के कारण कोटा (राजस्थान) में उनकी कोचिंग बंद हो गई। बावजूद इसके उन्होंने अपनी आनलाइन पढ़ाई जारी रखी। वे औसतन सात से आठ घंटे की पढ़ाई करते हैं और वे किसी भी स्तर की प्रतियोगी परीक्षा के लिए अध्ययन की इस समय सीमा को पर्याप्त मानते हैं। उनका कहना है कि अगर बेहतर मार्गदर्शन मिले तो स्वाध्याय से बेहतर सफलता का कोई मूलमंत्र नहीं है।

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