बिहार में अब कचरे से बनेंगे ईंट और जैविक खाद, 30 करोड़ की लागत से पहला ट्रीटमेंट प्लांट शुरू
बिहार में अब कचरे से बनेंगे ईंट और जैविक खाद, 30 करोड़ की लागत से पहला ट्रीटमेंट प्लांट शुरू- लोग कचड़े को जहां तहां फेक देते है जिससे की गन्दगी और बीमारी उत्पन्न होती है और लोगो के स्वास्थ्य को हानि पहुंचती है । लेकिन क्या हो अगर इन्ही कचड़ों की मदद से जरुरत के वस्तु को बनाया है । इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए बिहार के गया शहर के नैली स्थित डंपिंग यार्ड में नेशनल फेडरेशन ऑफ फार्मर्स प्रोक्योरमेंट (NACOF) द्वारा कचरा वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम प्लांट को शुरू किया गया है।
कचरे से ईंट, रस्सी और जैविक खाद बनाने की तैयारी
बीते दिनों नगर निगम के मेयर बीरेंद्र कुमार, डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव, नोडल अधिकारी शैलेंद्र कुमार सिन्हा, मुख्य सफाई निरीक्षक सत्येंद्र प्रसाद सहित दर्जनों निगम के अधिकारियों ने प्लांट का निरीक्षण किया। डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि यह बिहार पहला प्रोजेक्ट है जिसे नगर निगम के सहयोग से लगाया गया है। यहां पर शहर के कचरे से ईंट, रस्सी और जैविक खाद तैयार की जाएगी। जानकारी के लिए आपको बता दें की प्लांट शुरू हो चुका है सिर्फ औपचारिक उद्घाटन बाकी है।
30 करोड़ रुपये की लागत से लगाया गया प्लांट
इस कार्य के लिए कुल छह मशीनें लगाई गई हैं। मशीन प्रत्येक दिन 150 टन आरडीएफ कचरा अलग कर रही है वहीं 75 मिमी डाउन साइज के कचरे को गीले कचरे में मिलाकर जैविक खाद तैयार करने की प्रक्रिया की जा रही है । सूखे कचरे को 10 प्रकार से अलग किया जा रहा है। नगर निगम ने 30 करोड़ रुपये की राशि से प्लांट को लगाया है। भोपाल की निजी कंपनी नेशनल फेडरेशन ऑफ फार्मर्स प्रोक्योरमेंट (NACOF) सूखे और गीले कचरे का निष्पादन कर रही है। इसके साथ ही मृत जानवरों के शव के लिए क्रिमेशन मशीन लगाई जाएगी।

घर के बाहर लगेंगे QR कोड
डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि शहर के निगम क्षेत्रों में आने वाले सभी घरों के बाहर क्यूआर (QR) कोड लगाए जाने की योजना बनाई गई है जिसके लिए काम जारी है। जो सफाईकर्मी घर से कचरा उठाने जाएंगे वे क्यूआर कोड को स्कैन करेंगे। स्कैन होते ही कंट्रोल रूम में इसका सिग्नल मिल जाएगा कि किस घर से कचरे को उठाया जा चूका है। इसके लिए एक अलग से मॉनिटिरिंग रूम भी बनाया जाएगा जहां से कचरा नहीं उठा है उसकी सूचना संबंधित अधिकारी सफाईकर्मियों को मिल जाएगी।

प्रदुषण से मिलेगा निजाद
डंपिंग यार्ड में फैले कूड़े कचड़े का निष्पादन हो जाने से आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता में सुधार देखने को मिलेगा । अक्सर गर्मी के दिनों में कचरे के ढेर में आग लग जाती है जिससे आसपास के कई गांवों में दूषित वायु से ग्रामीण परेशान होते हैं इससे भी निजात मिलेगी इसके साथ-साथ किसानों को न्यूनतम मूल्य पर जैविक खाद की भी उपलब्धता होगी।