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ग्रेजुएट चायवाली के बाद अब B.Tech चायवाला, बोले ‘बड़ा नौकर बनने से अच्छा है छोटा मालिक बने’

भैया बिहार में इन दिनों चाय वालों की ही चर्चा हो रही है। अब ग्रेजुएट चायवाली के बाद दरभंगा शहर में इन दिनों बीटेक चायवाला अनुराग रंजन (Engineer Anurag Ranjan from Darbhanga) की खूब चर्चा है। लोग बड़े चाव से उनकी दुकान पर चाय पीने पहुंचते हैं। कभी साइकिल से फेरी लगाकर सामान बेचने वाले धीरूभाई अंबानी का परिवार आज दुनिया के सबसे बड़े अरबपतियों में शुमार है।

बचपन में ट्रेनों में चाय बेचने वाले नरेंद्र मोदी आज भारत के प्रधानमंत्री हैं। ऐसे ही लोगों से प्रेरित होकर अनुराग ने अपनी 28 हजार रुपये प्रतिमाह की नौकरी छोड़ दी और इसी साल मार्च महीने में शहर के इंस्टिट्यूशनल एरिया भटियारी सराय में चाय का स्टॉल खोल लिया।

Engineer Anurag Ranjan from Darbhanga
बीटेक चायवाला अनुराग रंजन

स्टॉल पर 17 तरह की चाय उपलब्ध

अनुराग की दुकान पर 17 तरह की चाय उपलब्ध है, जिसकी कीमत 7 रुपये से लेकर 55 रुपये तक है। अनुराग के चाय स्टॉल पर बड़ी संख्या में कोचिंग के छात्र-छात्राएं पहुंचते हैं। इंटर से लेकर पीजी-पीएचडी और एमबीए से लेकर बी.टेक-एम.टेक के छात्र यहां आकर चाय पीते हैं।

17 types of tea available at Anurag shop
अनुराग की दुकान पर 17 तरह की चाय उपलब्ध

अनुराग की एक और बड़ी खासियत है। यहां चाय पीते-पीते छात्र-छात्राओं को मुफ्त में फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ जैसे सिलेबस के सवालों को हल करने की टिप्स मिलती है। साथ ही उन्हें अलग-अलग तरह के स्वरोजगार करने के गुर भी सिखाए जाते हैं। इसके अलावा असफलता से कुंठित छात्र-छात्राओं को अनुराग मोटिवेशन भी देते हैं। उनकी दुकान पर रोजाना मोटिवेशनल स्लोगन लगा रहता है।

‘बड़ा नौकर बनने से अच्छा है छोटा मालिक बने’

बी.टेक चायवाले अनुराग रंजन ने कहा कि शिक्षा का मतलब जब तक नौकरी पाना होगा तो समाज में नौकर पैदा होंगे मालिक नहीं। इसलिए बड़ा नौकर बनने से अच्छा है छोटा मालिक बन जाइए।

जॉब से केवल आपका नीड पूरा होगा ना कि आपका ड्रीम पूरा होगा। हर किसी को एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत होती है जो उसकी जिंदगी संवार दें, लेकिन आप आईना उठाकर देखिए, वह व्यक्ति आप खुद हैं।

B.Tech Chaiwala Anurag Ranjan of Darbhanga
दरभंगा के बीटेक चायवाला अनुराग रंजन

‘मैंने पंजाब के एक कॉलेज से बी.टेक की डिग्री हासिल की। उसके बाद कई नौकरियां की। लॉकडाउन में उनकी नौकरी छूट गई। लॉकडाउन के बाद जब दूसरी नौकरी मिली तो उनका वहां मन नहीं लगा।

28 हजार रुपये प्रतिमाह की नौकरी छोड़ कर मधुबनी अपने घर वापस आ गए। दरभंगा के भटियारी सराय में इसी साल 13 मार्च को चाय का स्टॉल शुरू किया जो अब चल निकली है। मुझे एक पढ़े-लिखे स्टाफ की भी जरूरत है जो दुकान पर काम कर सके।”- अनुराग रंजन, बी.टेक चायवाला

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चाय बेचने में कोई शर्म की बात नहीं

अनुराग रंजन की दुकान पर चाय पीने आए स्थानीय डॉक्टर ललित ने बताया कि वे पहली बार यहां चाय पीने आए हैं. उन्हें स्वाद बहुत अच्छा लगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चाय को प्रमोट करते हैं। पढ़े-लिखे होकर चाय बेचने में कोई शर्म की बात नहीं है। उन्होंने कहा कि आज का दौर जॉब ढूंढने वालों का नहीं है, बल्कि जॉब देनेवालों का है।

अनुराग रंजन से मिलती है प्रेरणा

एक स्थानीय छात्र गौरव मिश्रा ने बताया कि वे यहां चाय पीने नियमित रूप से आते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें अनुराग रंजन से बहुत प्रेरणा मिलती है। यहां अलग-अलग तरह के बिजनेस आइडिया पर चर्चा होती है।

साथ ही सब्जेक्ट के सिलेबस के सवालों को हल करने में भी अनुराग मदद करते हैं। इसके अलावा इनकी दुकान पर हर दिन एक प्रेरक स्लोगन दिखता है। इससे जीवन में अपने दम पर कुछ करने की प्रेरणा मिलती है।

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