first biodiversity park of bihar

बिहार का पहला बायोडायवर्सिटी पार्क होने का गौरव अररिया को हासिल, अब तक इतना राजस्व

बिहार में अररिया के कुसियारगांव की अपनी एक अलग पहचान बन चुकी है। क्योंकि इसे राज्य का पहला बायोडाइवर्सिटी पार्क मिलने का गौरव हासिल है। करीब 241 एकड़ में फैले इस बायोडायवर्सिटी पार्क के बनने से शोधकर्ताओं के लिए राह असान हुए हैं। मनमोहन नजारा के कारण पर्यटक भी इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं। यही कारण है कि 2018 में स्थापित इस पार्क को अब तक 1.10 करोड़ का राजस्व मिल चुका है।

यानि इस पार्क ने जिले में आर्थिक समृद्धि के भी द्वार खोले हैं। जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमाटर की दूरी पर एनएच—57 पर होने के कारण दूर से आने जाने वालों के नजर से ये पार्क बच नहीं पाता है। इसके अंदर बने चिल्ड्रेन पार्क, विभिन्न तरह के गार्डन व पोंड बच्चों को खासा आकर्षित करता है।

Kusiargaon Biodiversity Park
कुसियारगांव जैव विविधता पार्क

बायोडायवर्सिटी पार्क किसे कहते हैं?

बायोडायवर्सिटी पार्क को हिन्दी में जैव विविधता क्रीडावन कहते हैं। यहां पर विशिष्ट जैविक प्रजातियों को एक खास भौगोलिक वातावरण में रखकर संरक्षित किया जाता है, जो अध्ययन और शोध के लिए उपयुक्त हों।

Kusiargaon Biodiversity Park Bihar
कुसियारगांव बायोडायवर्सिटी पार्क

बायोडायवर्सिटी सिटी पार्क अध्ययन और शोध के अलावा इसका दूसरा पृष्ठभूमि पर्यटन और वातावरण संरक्षण से है। यह बहुत बुड़े क्षेत्र में होता है और पर्यटकों के लिए काफी बड़ा क्षेत्र होता है जहां पर वह घूम सकते हैं।

तत्कालीन डिप्टी सीएम ने किया था उद्घाटन

जिले का गौरव कुसियारगांव के बायोडाइवर्सिटी पार्क का उद्घाटन 2018 में तत्कालीन डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने किया था। उसी समय उन्होंने कुसियारगांव पार्क को बांस आधारित उद्योग हब बनाने की घोषणा की थी।

Announcement to make Kusiyargaon Park a bamboo based industry hub
कुसियारगांव पार्क को बांस आधारित उद्योग हब बनाने की घोषणा

कोसी इलाके में बांस आधारित उद्योग लगाने के लिए इस पार्क में प्रशिक्षण देने की व्यवस्था होगी। कोरोना काल के कारण काफी बधाएं आई। उम्मीद है अब यह पार्क धीरे-धीरे गति पकड़ेगी।

बांस का टिसू कल्चर लैब बनकर तैयार

Bamboo tissue culture lab ready in Kusiyargaon Biodiversity Park
कुसियारगांव जैव विविधता उद्यान में बांस का टिसू कल्चर लैब बनकर तैयार

वन प्रमंडल पदाधिकारी नरेश प्रसाद ने बताया कि इस जैव विविधता उद्यान में बांस का टिसू कल्चर लैब बन चुका है। बताया कि यहां हर प्रजाति के बांस हैं। कई तो विदेशी प्रजाति हैं। आने वाले समय में यहां किसान मक्का, गेहूं के साथ बांस की भी खेती करेंगे। शोधकर्ताओं के रहने के लिए आवास व कांफ्रेंस के लिए बड़ा हॉल भी है।

450 प्रजाति के हैं वृक्ष

इस वायोडायवर्सिटी में साढ़े चार सौ विभिन्न प्रजातियों के वृक्ष लगाये गये हैं। ताकि शोधार्थी के साथ-साथ बच्चों को पेड़ पौधे भी अवगत भी कराया जा सके।

School children come to this park for cruises
स्कूली बच्चे परिभ्रमण के लिए इस पार्क में आते हैं

बताया कि छुट्टी में स्कूली बच्चे परिभ्रमण के लिए इस पार्क में आते हैं। इससे उनका मानसिक व बौद्धिक विकास होता है।

पार्किंग के साथ खाने-पीने की भी व्यवस्था

यहां पार्किंग की बेहतर व्यवस्था है। साथ ही नाश्ता, चाय-पानी एवं कोल्ड ड्रिंक पार्क के अंदर और बाहर आसानी से मिल जाता है । पार्क के अंदर टॉयलेट की बेहतरीन व्यवस्था है, जो अभी पूरी तरह निशुल्क रखा गया है।

Center of attraction Biodiversity Park of Araria
आकर्षण का केन्द्र अररिया का बायोडायवर्सिटी पार्क

बायोडायवर्सिटी में मुख्य रूप से चिल्ड्रन प्ले एरिया, टेरेस्ट गार्डन, लिली पोन्ड, वाटर फॉल, वर्टिकल गार्डन, वाटर फॉल, जापानीस गार्डन, रोज गार्डन आदि आकर्षण का केन्द्र बने हैं।

बिहार का पहला नेशनल पार्क चंपारण में

बिहार का पहले नेशनल पार्क का नाम वाल्मीकि नेशनल पार्क जो 1976 में बिहार के चंपारण जिले में बना था जबकि भारत का पहला नेशनल पार्क का नाम जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (उत्तराखंड) है।

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