people coming back from abroad to Bihar became employers

जाने परदेस से बिहार लौटकर आने वाले कैसे बने रोजगारदाता, 48 लाख पंहुचा टर्नओवर

बिहार के पश्चिम चंपारण के चनपटिया (बेतिया) की चर्चा पूरे राज्य में हो रही है। कोरोना काल में सैकड़ों युवाओं को बाहर के राज्यों से लौटना पड़ा था। रोजगार छिनने के बाद इन युवाओं ने हार नहीं मानी, बल्कि खुद का रोजगार करने की ठान ली। साल भर के अंदर अपने हुनर से ऐसा कमाल दिखाया कि चनपटिया को अब टेक्सटाइल हब बनने की राह पर लाकर खड़ा कर दिया। इनकी चर्चा इन दिनों खूब हो रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक इनकी तारीफ कर चुके है। मुख्यमंत्री ने चनपटिया आकर यहां का निरीक्षण किया था।

जो पहले मजदूरी करने के लिए परदेस जाते थे। वो आज दूसरों को रोजगार दे रहे हैं। अब परदेस की नौकरी छोड़ अपने गृह नगर में ही तकदीर संवारने में कई युवा और युवती लगे हैं। सरकार द्वारा वित्तीय प्रोत्साहन ने इन्हें उद्यमी बना दिया है। यहां के उद्यमी रेडीमेड व्यवसाय के साथ साड़ी, लहंगा, मच्छरदानी, आदि बनाने के काम में लगे हैं। एक टैक्सटाइल कारखाने में कुल 25 लोग काम करते हैं। कमाई की बात करें हर माह 3 से 4 लाख का टर्नओवर है।

How to become an employer after returning to Bihar
बिहार लौटकर आने वाले कैसे बने रोजगारदाता

बतौर कारीगर काम करती थी अर्चना

अर्चना कुमारी ने उद्यमी योजना के तहत ऋण लेकर टेक्सटाइल कंपनी की शुरुआत की। दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान अर्चना बताती हैं कि लॉकडाउन से पूर्व वो सूरत के एक निजी गारमेंट कंपनी में बतौर कारीगर काम करती थी।

Archana started textile company by taking loan under entrepreneur scheme
अर्चना ने उद्यमी योजना के तहत ऋण लेकर टेक्सटाइल कंपनी की शुरुआत की

वहां महीने का 12 हजार रुपया मिलते थे। कोरोना काल में जब कारखाना बंद हो गया तो वह अपने घर लौट आई और लॉकडाउन के समय इस योजना के तहत पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। वह स्वीकृत हो गया।

ऋण की पहली क़िस्त प्राप्त होते ही टेक्सटाइल कंपनी की आधारशिला रखी। अपने कारखाने में अर्चना कुमारी साड़ी, लहंगा, मच्छरदानी बना कर बेच रही हैं। क्वालिटी बेहतर रखने के कारण इन्हें बाजार भी मिला।

सिलाई मास्टर का काम 25 हजार था वेतन

इसी प्रकार एक अन्य उद्यमी इमरान अंसारी ने बताया कि जैकेट व कोट बनाने की यूनिट की शुरुआत की है। यहां पर एक दर्जन लोगों को रोजगार उपलब्ध हुआ है। फैक्ट्री की शुरुआत करने से पहले इमरान अंसारी दिल्ली की एक कंपनी में सिलाई मास्टर का काम करते थे।

Chanpatia is now on the way to become a textile hub
चनपटिया अब टेक्सटाइल हब बनने की राह पर

जहां उनको 25 हजार रुपया महीना मिलता था। आज इनके व्यवसाय में 4 लाख महीने का टर्नओवर है। इस तरह पूरे साल से 48 लाख रुपए का टर्नओवर है।

नीतीश कुमार ने भी किया यहां का दौरा

Nitish Kumar also visited Chanpatia
नीतीश कुमार ने भी किया चनपटिया का दौरा

लॉकडाउन के समय बाहर से लौटे लोगों ने जब अपना व्यवसाय शुरू किया तो चनपटिया में व्यवसाय करने वालों की होड़ लग गई। आज चनपटिया में दर्जन भर लोग अपना स्टार्टअप शुरू कर लिए हैं। जिसे देखते हुए चनपटिया में स्टार्टअप जोन बनाया गया है। इस स्टार्टअप जोन को देखने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी यहां दौरा कर चुके हैं।

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