son of auto driver cleared bihar police sub inspector exam

बिहार में घर चलाने के लिए पिता चलाते थे ऑटो, बेटे ने दरोगा बन बढ़ाया मान

कहने को तो सफलता हर किसी के जीवन का लक्ष्य है। जीवन चुनौतियों और अवसरों से भरा है, लेकिन केवल उन्हीं लोगों के लिए जो वास्तव में अवसरों को प्राप्त करने और चुनौतियों का सामना करने के लिए संघर्ष करते हैं। कड़ी मेहनत और समर्पण सफलता की यात्रा का एकमात्र मंत्र हैं। कुछ ऐसा ही करके दिखाया है, बिहार में एक ऑटो चालक के बेटे विवेक ने।

बिहार पुलिस में दारोगा की परीक्षा में सफल होकर ऑटो ड्राइवर के बेटे विवेक ने न केवल सफलता हासिल की है। बल्कि अपने पिता का सिर भी फख्र के साथ ऊंचा कराया है। सफलता की ये कहानी बिहार के जहानाबाद जिले के एक सुदूरवर्ती गांव की है, जहां के इस युवक की सफलता पर आज पूरा गांव इतरा रहा है।

Vivek, son of an auto driver in Bihar, cracks the examination of the inspector
बिहार में एक ऑटो चालक के बेटे विवेक ने दारोगा की परीक्षा में सफलता हासिल की

विवेक के पिता करीब तीन दशक से चला रहे हैं ऑटो रिक्शा

क्योंकि गांव के बेटे के सिर पर टोपी, कमर में सरकारी रिवॉल्वर और कंधे पर चमचाते हुए दो सितारे होंगे। दरअसल, जहानाबाद जिले के नोआवा गांव के ऑटो चालक के बेटे विवेक ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। अपनी लगन और अथक प्रयास के बूते, विवेक बिहार पुलिस में दारोगा बन गए हैं।

Viveks father has been driving auto rickshaw for nearly three decades.
विवेक के पिता करीब तीन दशक से चला रहे हैं ऑटो रिक्शा

विवेक के पिता करीब तीन दशक से ऑटो रिक्शा चला रहे हैं। विवेक बताते हैं कि हमारी परवरिश अच्छी हो इसके लिए पिता ने जी जान से मेहनत की। बच्चों की खातिर उन्होंने जीवन में कई बलिदान किए और घर चलाने के लिए ऑटो चलाया।

ऐसे में उनकी शुरुआत से ही यह ख्वाहिश थी कि कुछ ऐसा करूं जिससे हर कोई उनके पिता को सम्मान भरी नजरों से देखे। ऐसे में उन्होंने मेहनत जारी रखा और परिणाम सबके सामने है।

बेटे ने पिता का सिर समाज में फख्र से ऊंचा कर दिया

कहते हैं कि वर्दी को जो सम्मान मिलता है उतना किसी और पेशे में नहीं है। बेटे ने दूसरी नौकरियों के लिए भी क्वालीफाई किया है। हालांकि, अभी तक जॉइनिंग नहीं हुई है, लेकिन बिहार पुलिस में दारोगा का रिजल्ट आने के बाद पूरे परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई है।

विवेक की मां दो गृहणी हैं उनका गला बोलते-बोलते गला रूंध जाता है, लेकिन पिता कहते हैं कि बेटे ने उनका सिर समाज में फख्र से ऊंचा कर दिया है। वह अपने बेटे की सफलता पर गर्व महसूस करते हैं।

Viveks father Satchidanand Sharma proud of his sons success
विवेक के पिता सच्चिदानंद शर्मा अपने बेटे की सफलता पर गर्व

विवेक के पिता सच्चिदानंद शर्मा अपने बेटे की सफलता पर भावुक हो रहे हैं और इसे उसकी मेहनत का ही प्रतिफल बता रहे हैं। ऑटो चलाने वाले सच्चिदानंद कहते हैं कि अगर कुछ करने का जज्बा हो, तो राह कांटों भरा ही क्यों ना हो आसान हो जाती है।

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