बिहार में नौकरी छोड़ शुरू की मौसम्बी की खेती, आज कमा रहे सालाना 8 लाख रुपए
कहते है कि कोई भी उम्र किसी भी कार्य के लिये मोहताज नही होती, और किसी भी कार्य की शुरुआत की कोई उम्र या समय नही होती। ऐसा ही एक जज्बा और खेती करने की लगन बिहार के छपरा जिले के नगरा प्रखंड के सैदुपुर मठिया गांव निवासी नर्वदेश्वर गिरी के यहां देखने को मिली। कलकत्ता के हाजिनगर जुट मिल से वोलेंटियर रिटायरमेंट के बाद गिरी जी ने खेती में अपनी दिलचस्पी दिखाई और मौसम्बी की खेती की शुरुआत की।
इन्होंने 1 एकड़ की जमीन से आधे एकड़ में सागवान का पौधा तो आधे एकड़ जमीन मौसम्बी की खेती की है, जिससे सिर्फ मौसम्बी की खेती से इन्हें सालाना 8 लाख रुपये के आसपास की आमदनी हो रही है। मौसम्बी के साथ ही पपीता, अमरूद,अदरक,ओल, केला, आँवला आदि की खेती भी कर रहे है।
इन्होंने इसके लिये मिट्टी जांच करवाई और फिर करीब आधे एकड़ जमीन में मौसम्बी की खेती किये, इन्होने बताया कि पौधे जैसे जैसे पुराने होंगे इनमें फल लगने की संख्या बढ़ेगी, और प्रति पेड़ 70 से 80 किलो मौसम्बी फसल की उपज होने लगेगी।
ऑनलाइन और ऑफलाइन तरीके से बेचते है उत्पाद
किसान नर्वदेश्वर गिरी नाबार्ड संस्था से जुड़े है। उन्होंने किसान सन्यासी कृषक क्लब के गठन किया है, जिसके माध्यम से लोगो को सामूहिक रूप से गाय आधारित प्राकृतिक खेती का विस्तार कर रहे है। उन्होंने अपने उत्पाद को मार्केटिंग के लिये कोलकाता बेस्ट कम्पनी लाइफ लीफ ओरवर्सीज कम्पनी से जोड़ रखे है।
जिससे इनका उत्पाद ऑनलाइन और ऑफलाइन तरीके से बेचते है।आसपास के गावो में भी लोगो को जागरूक कर रहे है, और अपने पड़ोस के लोगो को जोड़कर सामूहिक तौर पर 5 एकड़ में इसकी खेती करने की योजना बना रहे है।
मौसम्बी के खेती के बताये उपाय
खेती के बारे में जानकारी देते हुए नर्वदेश्वर गिरी ने बताया कि सबसे पहले मिट्टी की जांच करना चाहिए। मौसम्बी के खेती के लिये दोमट मिट्टी या काली मिट्टी ज्यादातर उपयुक्त मानी जाती है। सबसे पहले जिन खेतो में पौधा लगाना है उसमें एक फीट लम्बाई, चौड़ाई और गहराई जगह बना लें,फिर उसमें एक सप्ताह तक धूप में छोड़ दें।
उसमें नीम की खली वर्मीकम्पोस्ट आदि डालकर उसे ढक दे। उसी गढ्ढे में एक माह बाद पौधा लगाये। 15 दिनों की अंतराल पर उसकी सिंचाई करें। पौधा लग जाने के बाद वर्ष में कम से कम 7 बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है।
मौसम्बी की खेती के लिए देंगे प्रशिक्षण
उसके बाद तकरीबन तीसरे वर्ष से ही उसमें फूल और फल निकलने लगता है, लेकिन शुरुआत में फलो कि संख्या कम होती है, और यह 6 वर्षों के बाद से ही पौधे में फलों की संख्या और उसकी आकार में बढोतरी होने लगती है। जिसे बिजनेस परपस कहा जाता है।
उन्होंने बताया कि वैसे लोग जो मौसम्बी की खेती करना चाहते है,उन्हें मुफ्त प्रशिक्षण दिया जायेगा, और साथ ही इछुक होने पर उन्हें पौधा उपलब्ध भी कराया जायेगा। साथ ही उन्हें हर तरीके से मदद भी किया जायेगा।