गूगल मैप के जरिये पांच साल से भटके बच्चे को मिला उसका घर, यूपी से पंहुचा था बिहार
बालगृह में रह रहे एक बालक यह उम्मीद नहीं थी की वह अपने माता पिता से दुबारा मिल पायेगा और अपने घर जा पायेगा। बालक को याद ही नहीं था की उसका घर कहा हैं और न उसका पहले आधार कार्ड ही बना था, जिससे उसकी आंखों या अंगूठे का स्कैन कर पता मालूम किया जा सके।
लेकिन बालक के साथ नियमित काउंसलिंग और भागलपुर जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक के प्रयास के बदौलत बालक को माता-पिता भी मिले और अपना वह गांव भी, जिन्हें ढूंढ़ने में गूगल की मदद मिली। बालक झारखंड के लातेहार जिले का रहने वाला है।
यूपी से पंहुचा था बिहार
दरअसल झारखंड के लातेहार का रहने वाला बच्चा वर्ष 2018 में भटक कर बिहार के भागलपुर पहुंच गया था। भागलपुर-दानापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस में जाने के दौरान वह जीआरपी को मिला था । उसे अपने घर का पता मालूम नहीं होने के कारण बालगृह में रखा गया।
बच्चे की कई बार काउंसलिंग की गई और इस दौरान वह अपने घर का पता आजमगढ़, उत्तरप्रदेश बता रहा था, जहां उसके माता-पिता ईंट भट्ठा में काम करते थे । काफी प्रयास के बाद भट्ठा मालिक सरोज कुमार से संपर्क हो सका। उन्होंने बताया की अब यहां काम नहीं करते हैं। अथक प्रयास के बाद वह अपने घर का पता सासंग बताया।
गूगल मैप के जरिये भटके बच्चे को मिला उसका घर
गूगल मैप पर जब ‘सासंग’ को सर्च किया गया, तो पता चल की यह जगह झारखण्ड का है। फिर बच्चे का आधार पंजीकरण किया गया। इसमें यह तय हो गया कि बच्चे का पहले से आधार नहीं बना है। चिकित्सकों ने उसका उम्र निर्धारण 05.03.2020 किया।
बच्चे को सासंग के महत्वपूर्ण स्थानों मंदोर, बजार की तस्वीर मोबाइल स्क्रीन पर दिखाने पर उसने एक स्थान की पुष्टि की और चहकते हुए कहा कि यही उसका गांव है। इसके बाद सासंग थाना प्रभारी से संपर्क किया गया।
माता पिता हुए भावुक
संबंधित मुखिया पर लगातार दबाव बनाने के बाद बालक के घर से संपर्क हो पाया। बालक अपने भाई पप्पू से बात कर काफी भावुक हो गया। फिर माता-पिता को भी वीडियो कॉल कर बात करायी गयी।माता-पिता को जब बिछड़ा हुआ बेटा मिला, तो उसके आंसू नहीं रुक रहे थे।