Teacher Of Jamui Are Teaching Maths By Singing Songs

बिहार को चाहिए ऐसे शिक्षक, अनोखे अंदाज में सीखा रहे गणित, सोशल मीडिया पर वायरल

संसाधनों की कमी का रोना रोकर अपने कर्तव्य से विमुख होने वालों के लिए जमुई जिले के शिक्षक रंजीत कुमार एक सकारात्मक जवाब हैं। सिकंदरा प्रखंड के मंजोष पंचायत के उत्क्रमित मध्य विद्यालय में संसाधनों का अभाव है। चार कमरे वाले इस स्कूल में एक में ऑफिस है, जबकि तीन कमरों में पढाई होती है। पहली से तीसरी कक्षा के बच्चे जमीन पर बैठ कर पढ़ते हैं।

स्कूल में लगभग ढाई सौ से ऊपर बच्चे नामांकित हैं, जिनकी उपस्थिति हर दिन लगभग शत प्रतिशत रहती है। सभी बच्चों के पास किताबे हैं और सभी यूनिफॉर्म में स्कूल आते हैं। कारण है अनोखे अंदाज में पढ़ाने वाले शिक्षक रंजीत कुमार।

Unique way of teaching children to dance
बच्चों को डांस करके पढ़ाने का अनोखा अंदाज

स्कूल की उपस्थिति लगभग शत प्रतिशत

सिकंदरा प्रखंड के मध्य विद्यालय कोनन में कार्यरत शिक्षक रंजीत कुमार का पढ़ाया पाठ बच्चे कभी भूलते भी नहीं हैं। बच्चों को पढ़ाने के दौरान तन और मन से लीन हो जाने के कारण इसी स्कूल की उपस्थिति लगभग शत प्रतिशत रहती है।

Children present in Ranjit sir class
रंजीत सर की क्लास में मौजूद बच्चे

यहां पढ़ने वाले बच्चे भी अपने शिक्षक रंजीत कुमार पर गर्व करते हैं। इस शिक्षक का पढ़ाने का लगन का प्रतिफल है कि स्कूल के बाकी शिक्षक भी बच्चों को मन लगाकर पढ़ाते हैं यहां के शिक्षक स्कूल लगने के पहले ही आ जाते हैं।

स्कूल और शिक्षक रंजीत की चर्चा पूरे जिले में

स्कूल के सामने मैदान में रंजीत कुमार हर दिन बच्चों को विभिन्न गतिविधियों के साथ अक्षर ज्ञान से लेकर किताबी बातें खेल के अंदाज में बताते हैं। बच्चे भी विषयों को कठिन या उबाऊ नहीं मानते हुए खूब मन लगाकर पढ़ते हैं।

Upgraded Middle School Konan of Sikandra Block of Jamui
जमुई के सिकंदरा प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय कोनन

स्कूल के मैदान में और क्लास रूम में शिक्षक अपने अनोखे अंदाज में बगैर कलम कॉपी के इस्तेमाल किए एक्टिविटी करते किस तरह क्लास लगाते हैं। यही कारण है कि इस स्कूल और शिक्षक रंजीत की चर्चा पूरे जिले में होती है।

अपना प्रथम कर्तव्य कैसे भूल जाएं?

शिक्षक रंजीत कुमार बताते हैं कि बच्चों को पढ़ाने के लिए जो ट्रेनिंग ली है उसका वो भरपूर इस्तेमाल करते हैं। गतिविधि के साथ पढ़ाई को रोचक बनाने के लिए कविता, गीत और गेम का सहारा लेते हैं।

वे कहते हैं कि संसाधनों की कमी की बात करेंगे तो महलों में रहने वाले भी अपना कष्ट बता देंगे, मगर संसाधनों की कमी के नाम पर अपना प्रथम कर्तव्य कैसे भूल जाएं। यही बच्चे हमारे देश के भविष्य हैं, ऐसे में हम शिक्षक को ही तो इनके भविष्य की चिंता करनी होगी।

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