the advantages and disadvantages of Agneepath

एक्सपर्ट्स ने बताए क्या है अग्निपथ स्कीम के फायदे नुकसान, 4 साल की नौकरी के लिए युवा क्यों करेंगे तैयारी

सरकार अग्निपथ स्कीम के माध्यम से सेना में युवाओं की बहाली नए तरीके से करना चाहती है। इसके तहत 17.5 साल से लेकर 21 साल की उम्र सीमा वाले युवाओं को 4 सालों के लिए सेना में काम करने का अवसर मिलेगा। हालांकि विरोध को देखते हुए इस एज लिमिट को बढ़ाकर 23 साल कर दिया गया है। ‘अग्निपथ’ के तमाम नियमों को लेकर बिहार के युवाओं में बड़ा आक्रोश दिख रहा है। सेना की नौकरी की तैयारी करने वाले युवाओं में काफी हताश हैं।

बिहार में सेना की नौकरियों में जाने का क्रेज ऐसा है कि डेढ़ से दो सौ कोचिंग सेंटर हैं। पटना के मखनिया कुंआ जैसी एक जगह पर ही 20-25 कोचिंग संस्थान सेना में नौकरी की तैयारी कराते हैं। राज्य के कई गांव ऐसे हैं जहां हर घर में आपको सेना की नौकरी करने वाले युवा मिल जाएंगे। गांव का शायद ही कोई मैदान हो जिसमें सुबह के समय युवा फिजिकल तैयारी करते न दिखें। आईये एक्सपर्ट से जानिए इनके नफा-नुकसान…

Advantages and Disadvantages of Agneepath Scheme
अग्निपथ स्कीम के फायदे और नुकसान

अग्निपथ की खास बातें क्या हैं

सेना में भर्ती होने की उम्र सीमा 17.5 साल से 21 साल के बीच होनी चाहिए। अब ये बढ़कर 23 साल कर दी गई।

शैक्षणिक योग्यता 10वीं या 12वीं पास हो।

यह भर्ती सिर्फ चार सालों के लिए होगी।

प्रथम साल की सैलरी हर माह 30 हजार रुपए होगी।

चौथे साल 40 हजार रुपए सैलरी हर माह दिए जाएंगे।

Special Features of Agneepath
अग्निपथ की खास बातें

चार साल के बाद सेवाकाल में बेहतर प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा और उसमें से 25 प्रतिशत युवाओं को ही नियमित किया जाएगा।

अग्निवीरों को भारतीय सशस्त्र बलों में उनकी अवधि के लिए 48 लाख रुपए का गैर-अंशदायी जीवन बीमा कवर दिया जाएगा।

लगभग 11.71 लाख रुपए की सेवा निधि अग्निवीरों को वित्तीय दबाव के बिना अपने भविष्य के सपनों को आगे बढ़ाने में मदद करेगी।

सेना की तैयारी कराने वाले गुरु ने गिनाया नुकसान

मीडिया ने बिहार में सेना की तैयारी कराने वाले शिक्षकों से बात की। दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक गुरु रहमान कहते हैं कि बिहार के एक गांव से रेलवे में अगर चार युवा परीक्षा देने जाते हैं तो सेना की बहाली में उस गांव से 200 युवा। इसका मतलब यह है कि बिहार के गरीब युवाओं के अंदर सेना की नौकरी में जाने का क्रेज काफी ज्यादा है।

यही वजह है कि अग्निपथ के विरोध में प्रदर्शन सबसे पहले बिहार से ही शुरू हुआ। गुरु रहमान कहते हैं कि अग्निपथ से किसी युवा को कोई फायदा नहीं होगा बल्कि नुकसान ही नुकसान होगा।

Guru Rahman, who prepared the army, counted the loss of Agneepath
सेना की तैयारी कराने वाले गुरु रहमान ने गिनाया अग्निपथ के नुकसान

वे इससे होने वाले नुकसान को गिनाते हैं…

सेना की गुणवत्ता प्रभावित होगी।

23 साल की उम्र में युवा बेरोजगार हो जाएंगे।

प्रशिक्षित युवा जब बेरोजगार हो जाएंगे तो गलत दिशा में जाकर अपराधी बन सकते हैं। कोई संगठन उन्हें ट्रैप भी कर सकता है।

सेना की जरूरी जानकारियां लीक हो सकती हैं।

जो युवा 21-22 वर्ष की उम्र में रिटायर होंगे वे किसी दूसरी परीक्षा की तैयारी नहीं कर पाएंगे क्योंकि सभी परीक्षाओं का सिलेबस अलग-अलग होता है।

25 फीसदी जिन युवाओं को रेगुलर करने की बात कही गई है, इसके लिए युवा अपने अफसरों की खुशामद करेंगे।

सेना की तैयारी के लिए तीन सेंटर चलाने वाले ने बताया क्यों हो रहा विरोध

मीडिया ने सेना की तैयारी कराने वाले ‘योद्धा डिफेंस इडीयू हब’ के संस्थापक मनीष राज से बात की। पटना में उनका तीन सेंटर- भिखना पहाड़ी, बाजार समिति और मखनिया कुंआ में है। वे कहते हैं कि अग्निपथ, सेना की तैयारी कर रहे युवाओं के हित में नहीं है, इसलिए इसका विरोध युवा कर रहे हैं।

कई युवाओं ने तो अग्निपथ को देखते ही सुसाइड कर ली है। वे इस बात से डरे हुए हैं कि उनका सपना अब कभी पूरा नहीं होगा। सेना की नौकरी नहीं मिल पाएगी। वे डरे हुए हैं कि उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर गया है।

Yodha Defense EDU Hub
योद्धा डिफेंस इडीयू हब

मनीष राज से हुई बातचीत को ऐसे समझें

हर साल ढ़ाई-तीन हजार बच्चे एक कोचिंग में सेना की तैयारी करने आते हैं। बिहार में डेढ़ सौ से ज्यादा कोचिंग संस्थान सेना की नौकरी की तैयारी कराते हैं।

अग्निपथ से एयरफोर्स और नेवी पूर्ण तरह से प्रभावित होगी। आर्मी में एसएसवी, असम रायफल, सीआईएसएफ आदि सभी प्रभावित होंगे।

एयरफोर्स, नेवी के अलावा आर्मी की बहाली पर भी असर पडे़गा।

अग्निपथ लागू हो गया तो युवा सेना की तैयारी नहीं करना चाहेंगे। चार साल की नौकरी के लिए कौन दो-तीन साल तैयारी करेगा? परीक्षा की प्रक्रिया में ही दो साल लग जा रहे हैं।

एयरफोर्स में एक्स ग्रुप को टेक्निकल और वाई ग्रुप को नन टेक्निकल कहते हैं। टेक्निकल सेवा में जाने वाले युवा अफसर बनते हैं। टेक्निकल के लिए ग्रुप डिस्कशन की तैयारी युवा करते हैं। नन टेक्निकल में रिटेन, फिजिकल और मेडिकल होता है। इतनी तैयारी अब युवा चार साल की नौकरी के लिए नहीं करना चाहेंगे।

बिहार के युवा एक जज्बे के साथ सेना में जाते हैं। सिर्फ पैसा कमाने नहीं जाते हैं बल्कि देशभक्ति का जज्बा इनमें होता है। सेना में चार साल की नौकरी उनकी भावना के साथ खिलवाड़ होगा।

इन्होंने योजना की तुलना खिलौने से की

मीडिया ने नेशनल एक्स सर्विस मैन कॉर्डिनेशन कमिटी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह से बात की। इस संगठन में सेना के तीनों विंग के रिटायर्ड शामिल हैं। अशोक कुमार सिंह कहते हैं कि-

Comparison of Agneepath Scheme with Toys
अग्निपथ योजना की तुलना खिलौने से

सेना में बहाली के बाद नौ माह की ट्रेनिंग होती है। लेकिन अग्निपथ में 6 माह की ट्रेनिंग देकर काम लिया जाएगा। प्रोफेशनल ट्रेनिंग की तो बात ही नहीं की जा रही है।

अब सेना में बहाल युवाओं को सैनिक तो कहा ही नहीं जाएगा अग्निवीर कहा जाएगा।

अग्निवीरों को एक सैनिक की तरह सेना की सभी सुविधाएं नहीं मिलेंगी। चार साल बाद उन्हें आरपीएफ, सीआईएसएफ, एसएसबी आदि में रखने की बात होती तो बात समझ में आती, लेकिन वह भी नहीं है।

जब 75 फीसदी युवा रिटायर हो जाएंगे तो मानसिक तनाव में होंगे। 25 फीसदी का परफॉर्मेंस पैसा पर ठीक होगा!

युद्ध में ये युवा क्या भाग लेंगे जब इनकी ट्रेनिंग ही ठीक से नहीं हो पाएगी। जब तक इनमें जिम्मेदारी आएगी वे रिटायरमेंट की चिंता में डूब जाएंगे।

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