बिहार के इस रुट के ट्रैक और स्टेशन बनकर तैयार, गिट्टी की कमी के कारण नहीं दौड़ पा रही ट्रेने

पटरी तैयार, स्टेशन तैयार, यहाँ तक की फाटक भी बन गए हैं लेकिन ट्रैन के परिचालन के लिए नहीं मिल रहा है गिट्टी। हम बात कर रहे हैं सहरसा को फारबिसगंज से जोड़ने वाली रेललाइन का। जानिए।

गिट्टी की कमी से नहीं शुरू हो रहा है परिचालन

15 किलोमीटर के इस रूट पर पटरी बिछाई जा चुकी है। बीच में पड़ने वाले दो हॉल्ट देवीगंज और चकरदहा के प्लेटफार्म और स्टेशन बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई है। सभी 9 रेल फाटक बन चुके हैं।

Operation is not starting due to lack of ballast
गिट्टी की कमी से नहीं शुरू हो रहा है परिचालन

यह हाल है अंतराष्ट्रीय महत्व वाले रेलवे की परियोजना सहरसा को फारबिसगंज से जोड़ने वाली रेललाइन की। समस्या यह है कि इस बड़ी रेललाइन को चालू करने के लिए जरूरी दस रैक गिट्टी मिल नहीं रही।

ट्रैक का स्पीड ट्रायल होना बाकी

बताया जा रहा है कि मांग के बाद भी झारखंड के पाकुड़ सहित अन्य जगहों से गिट्टी के रैक उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। दरअसल पटरी के बीचोबीच पर्याप्त गिट्टी डालकर 15 दिनों तक टेंपिंग मशीन चलाकर रेललाइन चालू करने का काम बांकी है।

टेंपिंग मशीन चलाने के बाद पटरी ट्रेन दौड़ाने लायक होगी और ट्रैक का स्पीड ट्रायल किया जा सकेगा। पहले डिप्टी चीफ इंजीनियर निर्माण और सीनियर डीईएन थ्री स्तर के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण रिपोर्ट तैयार होगी।

Speed trial of track yet to be done
ट्रैक का स्पीड ट्रायल होना बाकी

निरीक्षण के बाद ही चल सकेंगी ट्रेनें

इसके बाद दो मुख्य अभियंता की निरीक्षण रिपोर्ट ली जाएगी। उसके बाद सीआरएस निरीक्षण कराया जाएगा। सीआरएस की रिपोर्ट के आधार पर उस स्पीड पर ट्रेन चलाने की तारीख पर फैसला रेलवे बोर्ड करेगा।

इसके अलावे बताते चले कि नरपतगंज से फारबिसगंज तक जहां-जहां बारिश का पानी जमा है वहां सिग्नल का केबल बिछाने में भी परेशानी आ रही है। कार्य की धीमी पड़ी गति के कारण सहरसा से फारबिसगंज तक ट्रेन परिचालन इस साल के अंतिम महीने दिसंबर में शुरू होने की संभावना है।

समस्या को दूर करने का किया जा रहा है प्रयास

रेल अधिकारीयों की माने तो गिट्टी की समस्या को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। दुर्गा पूजा से दिवाली तक मजदूर संकट से भी जूझना पड़ता है। रेललाइन के काम में स्थानीय के अलावा बंगाल जैसे राज्य के मजदूर को लगाया जाता है।

वहीँ इसी रुट के फायदे की बात करें तो, सहरसा से फारबिसगंज तक ट्रेन चलने का फायदा कोसी और मिथिलांचल के लोगों को होगा। वे फारबिसगंज तक पहुंचने के बाद नेपाल बॉर्डर के करीब भारतीय इलाके में पहुंच जाएंगे।

नेपाल जाना होगा आसान

लोगो को नेपाल जाना भी आसान हो जायेगा और इसमें खर्च भी कम आएगा। वहीं जोगबनी होकर पूर्वोत्तर राज्य गुवाहाटी तक रेलमार्ग से आना-जाना भी संभव हो पाएगा। नेपाल बॉर्डर के के नजदीक होने के कारण इस रेललाइन के निर्माण के लिए रक्षा विभाग भी फंडिंग कर रहा है।

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