Was out of school karate team due to his height

अपने हाइट के कारण स्कूल कराटे टीम से हुआ था बाहर, अब अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी हैं संतोष

अगर आप में भी कुछ कमी है, तो इसको अपनी मजबूती बनाएं न की कमजोरी। यह पंक्तियां आपको कुछ अजीब लगेंगी, लेकिन भागलपुर के संतोष कुमार की कहानी इन पंक्तियों पर ही आधारित है। एक बेहद गरीब घर का लड़का, जिसकी कद काठी भी काफी कम थी, लेकिन मन में कुछ करने का जज्बा हिमालय से भी ऊंचा था।

जेहन में आ गया था गेम नहीं खेल सकता

संतोष बताते हैं कि भागलपुर में कक्षा 7 में जब वह पढ़ाई कर रहे थे, तो उनके स्कूल में जूडो कराटे के शिक्षक आए हुए थे। जहां उसके क्लास के सभी बच्चे ट्रेनिंग ले रहे थे। इसी बीच वह भी उस लाइन में जाकर खड़ा हो गया।

लेकिन वहां उसके साथ कुछ उनके सीनियर ने धक्का-मुक्की की और उन्हें मार कर भगा दिया। इसके बाद मन में गांठ बैठ गई और जेहन में आया कि मैं यह गेम नहीं खेल सकता।

मुश्किल दौर में दो लोगों ने थामा हाथ 

संतोष कुमार इस घटना के बाद अंदर से टूटने लगे। इस मुश्किल दौर में उनका हाथ दो लोगों ने थामा। पहला उनके सीनियर सुबोध कुमार दास और फिर राजेश कुमार साह ने। संतोष बताते हैं कि मैं इस घटना के बाद काफी परेशान रहने लगा था।

और इसको लेकर काफी चिंतित रहने लगा था। इसी बीच मेरे सीनियर सुबोध कुमार दास ने काफी मदद की। मेरे मनोबल को काफी ऊंचा उठाया। उसके बाद राजेश कुमार साह के अकादमी में शुरुआती सीख ली।

It was in my mind that I can not play the game
जेहन में आ गया था मै गेम नहीं खेल सकता

छोटे-मोटे होटलों में खर्च के लिए की वेटर की नौकरी

संतोष ने बताते है कि कुछ दिनों बाद भागलपुर में जिला लेवल का मैच हुआ था, वहां मैं जीत गया। उसके बाद छपरा गया, वहां भी जीता। उसके बाद वहां से जम्मू कश्मीर के कटरा में खेला जहां पहली नेशनल लेवल में ब्राउंज मेडल जीता। और तभी से आगे बढ़ता रहा। लेकिन  कई बार मैंने खर्च के लिए छोटे-मोटे होटलों में वेटर की नौकरी भी की है।

आगे की तैयारी

अपनी सफलताओं से सीख लेते हुए संतोष अब इंटरनेशनल चैंपियनशिप में भारत का झंडा बुलंद करने की तैयारी में लग गए हैं। उन्‍होंने बताया कि 2023 वर्ल्ड चैंपियनशिप जो कि इटली में होने वाला है, उसका ट्रायल होने वाला है।

इसकी तैयारी अभी जोरों शोरों से की जा रही है। वर्तमान में झिकतिया मार्शल आर्ट क्लब में कोच के तौर पर काम कर रहा हूं।

मां पापा से छुपा कर देती थी पैसे

संतोष बताते हैं कि परिवार में उनके इस खेल को उनके पापा अच्छा नहीं मानते थे। उनकी मम्मी भी हमेशा उनको बोलती रहती थी कि बेटा इस खेल में बहुत रिस्क है, इसे छोड़ दो, पर मेरी जिद के आगे वह मेरा साथ देने लगी।

मां अपनी बचत के पैसे पापा से छुपाकर मुझे देती थी। जानकरी दे दें कि शुरुआती दौर में संतोष की प्रारंभिक शिक्षा उसके गांव कदवा में हुई थी। उसके बाद संतोष के चाचा ने उसे भागलपुर के भीमराव अंबेडकर आवासीय विद्यालय में उसका एडमिशन करवा था।

ओपेन इंटरनेशनल किक बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारत को दिलाया सिल्वर

हाल ही में संतोष कुमार ने अयोजित प्रतियोगिया में भारत को सिल्वर मेडल दिलाया है। उन्होंने बताया कि नई दिल्ली के तालकटोरा इंडोर स्टेडियम में 2 नवंबर से 6 नवंबर 2022 तक आयोजित 2nd ओपेन इंटरनेशनल किक बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारतीय टीम की ओर से कप्तानी करते हुए सिल्वर मेडल जीता।

दिल्ली में भारत के खिलाफ कुल 8 देशों ने अपने-अपने खिलाड़ी उतरे थे जिनमें की इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया जॉर्डन, कोरिया उज़्बेकिस्तान आदि देश भी शामिल थे।

new batch for bpsc by perfection ias
प्रमोटेड कंटेंट

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *