Why Big Cricketers Are Not Coming Out Of Bihar

जानिए बिहार से क्यों नहीं बनते बड़े क्रिकेटर, क्रिकेट एकेडेमी की ये है सच्चाई

2018 में बिहार क्रिकेट को मान्यता मिलने के बाद 10 से ज्यादा एकेडमी और खुल गई, लेकिन इनसे बड़े क्रिकेटर नहीं निकल पाए। क्योंकि इंफ्रास्ट्रक्चर के अभाव के साथ टॉप लेवल के क्वालिफाइड कोच की कमी है यहां। यही वजह है कि बिहार से नेशनल-इंटरनेशनल क्रिकेटर नहीं निकल रहे। यह स्थिति तब है जब पटना में करीब 25 क्रिकेट एकेडमी अभी चल रही है।

लेकिन, बिहार से झारखंड अलग होने के बाद किसी एकेडमी से कोई खिलाड़ी नहीं निकला। पिछले दिनों ईशान किशान के अलावा बिहार से अनुकूल आशीष, अनुनय नारायण सिंह, सहबाज नदीम, अनुकूल राय, मोनू सिंह, एसपी गौतम, वरूण अरूण और आकाशदीप जरूर चमके हैं। अनुनय को छोड़ बाकी क्रिकेटर झारखंड से खेलते हैं और कोई प्रैक्टिस मुंबई, तो कोई दिल्ली में करता है।

After the separation of Jharkhand from Bihar, no player came out of any academy.
बिहार से झारखंड अलग होने के बाद किसी एकेडमी से कोई खिलाड़ी नहीं निकला

कहने को 25 एकेडमी लेकिन

ईशान किशन शुरुआती दिनों में पटना में खेलें। लेकिन, 2012 में रांची चले गए और वहीं से अंडर 16 खेले और उनकी सफलता का सफर जो शुरू हुआ, आज भी जारी है। आखिर बिहार की एकेडमी में ट्रेनिंग ले रहे क्रिकेटरों में से कोई ईशान किशान या महेंद्र सिंह धोनी या सकीबुल गनी जैसा खिलाड़ी क्यों नहीं निकल रहा है, यह जानने के लिए दैनिक भास्कर ने पटना की 10 चर्चित क्रिकेट एकेडमियों की पड़ताल की और अपना रिपोर्ट छापा है। पढ़िए विस्तृत रिपोर्ट…

श्रीराम क्रिकेट एकेडमी, शाहपुर जगनपुरा

Shri Ram Cricket Academy, Shahpur Jaganpura
श्रीराम क्रिकेट एकेडमी, शाहपुर जगनपुरा

बाइपास में शाहपुर भोगीपुर जगनपुरा रोड में है श्रीराम क्रिकेट एकेडमी, अप्रैल में ही खुली है।

5 साल से लेकर 19 साल के लड़कों का प्रशिक्षण मिलता है।

श्रीराम स्कूल के कैंपस में शुरू हुई है यह एकेडमी। संचालक रूपक कुमार ने बताया कि ग्राउंड छोटा है पर प्रैक्टिस के लिए पर्याप्त है।

दो सिमेंटेड विकेट, एक एस्ट्रो टर्फ और एक मैच खेलने के लिए टर्फ विकेट है। जल्द ही दो प्रैक्टिस टर्फ विकेट बनाने की तैयारी है।

शशिभूषण, रेहेन दास गुप्ता पुरुष और शिखा सोनिया महिला कोच हैं।

फिलहाल 22 बच्चे हैं। अभी एडमिशन फ्री है पर प्रति माह हर बच्चे से 1000 हजार फीस ली जाती है।

वाईसीसी एकेडमी, शाखा मैदान राजेंद्र नगर

वाईसीसी स्पोर्ट्स एकेडमी राजेंद्र नगर शाखा मैदान में चलता है। यहां अभी 80 बच्चे हैं।

YCC Academy, Branch Ground Rajendra Nagar
वाईसीसी एकेडमी, शाखा मैदान राजेंद्र नगर

इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से मैदान की लंबाई तो ठीक है पर चौड़ाई कम है। प्रैक्टिस के लिए दो सिमेंटेड विकेट और दो टर्फ विकेट है।

इसी एकेडमी की लड़की तेजस्वी का अभी हाल ही में नेशनल क्रिकेट एकेडमी में सलेक्शन हुआ है।

3 कोच हैं। एक संतोष कुमार जो स्कूली गेम्स और अंडर 19 के साथ सीके नायडू ट्रॉफी खेल चुके हैं। जबकि आशीष सिन्हा झारखंड से रणजी ट्रॉफी खेल चुके हैं और राहुल कुमार पीयू टीम से खेल चुके हैं। फीस 500 रु. प्रति बच्चा, रजिस्ट्रेशन फीस 2100 रुपए भी लिए जाते हैं।

स्कूल ऑफ क्रिकेट एकेडमी, अनीसाबाद

School of Cricket Academy, Anisabad
स्कूल ऑफ क्रिकेट एकेडमी, अनीसाबाद

अनीसाबाद में मौसम विभाग के पास है सीआईएसएफ ग्राउंड, इसी में स्कूल ऑफ क्रिकेट एकेडमी चलता है।

ग्राउंड छोटा है और महज एक सिमेंटेड विकेट है, जिस पर बच्चे नेट प्रैक्टिस करते हैं।

मैदान की हालत यह है कि बरसात में पानी भर जाता है, फिलहाल 40 बच्चे हैं यहां।

क्रिकेट एकेडमी ऑफ पटना, माेइनुलहक स्टेडियम

मोइनुलहक स्टेडियम के बाहरी परिसर में दक्षिण-पश्चिम साइड में मिनी ग्राउंड में चलता है यह क्रिकेट एकेडमी। यह ग्राउंड सरकार की ओर से गुड फेथ में एकेडमी को मिला हुआ है।

Cricket Academy of Patna, Mainulhaq Stadium
क्रिकेट एकेडमी ऑफ पटना, माेइनुलहक स्टेडियम

ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी खेल चुके मनोज कुमार इस एकेडमी के सर्वेसर्वा व कोच भी हैं। तीन कोच और पीएन सिंह, सूरज कुमार और प्रदीप कुमार सिंह हैं। पीएन सिंह बनारस क्रिकेट लीग खेले हुए हैं। सूरज पटना डिस्ट्रिक खेले हुए हैं। जबकि प्रदीप पंजाब यूनिवर्सिटी के साथ बिहार और हरियाणा में अंडर 22 लीग खेले हुए हैं।

यहां 60 बच्चे हैं, हफ्ते में छह दिन 3 बजे से 6.30 बजे तक प्रैक्टिस करते हैं। रविवार को मैच होता है।

कोच मनोज कुमार के अनुसार वैसे फीस 900 रुपए निर्धारित है पर कुछ ही बच्चे पूरा फीस देते हैं।

सुविधा के नाम पर एक मेन विकेट मैच के लिए और प्रैक्टिस के लिए 3 टर्फ और 3 सिमेंटेड विकेट हैं।

एकेडमी संचालकों का कहना है कि कोरोना के कारण काफी परेशानी हुई। अब धीरे-धीरे क्रिकेट लय पकड़ रहा है। एक-दो सालों में बिहार से भी खिलाड़ी निकलेंगे जो नेशनल-इंटरनेशनल में अपना जलवा दिखाएंगे।

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