Women officers on top in CRPF

CRPF में टॉप पर महिला अधिकारी, IG सीमा धुंडिया बिहार सेक्टर का करेंगी नेतृत्व

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने पहली बार अपने कैडर की दो महिला अधिकारियों को अपनी दंगा रोधी इकाई त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) और बिहार सेक्टर का महानिरीक्षक (आईजी) नियुक्त किया है।

अधिकारियों ने जानकरी दी कि हाल ही में बल के मुख्यालय द्वारा जारी स्थानांतरण/तैनाती आदेश के तहत एनी अब्राहम को त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) का आईजी नियुक्त किया गया है, जबकि सीमा धुंडिया को बिहार सेक्टर का आईजी नियुक्त किया गया है।

1987 में पहली बार शामिल हुई थीं महिला अधिकारी

केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में 1987 में पहली बार महिला अधिकारी शामिल हुई थीं। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की महिला अधिकारी सीआरपीएफ की इकाइयों का नेतृत्व करतीं रही हैं, और वर्तमान में बल में कम से कम तीन ऐसी अधिकारी हैं।

यह पहली बार हुआ है जब आरएएफ का नेतृत्व कोई महिला आईजी करेगी। एक आईजी सीआरपीएफ में सेक्टर का प्रमुख होता है। दोनों अधिकारी 1987 में महिला अधिकारियों के पहले बैच के रूप में अर्धसैनिक बल में शामिल हुईं थीं।

Women officers were included in the Central Reserve Police Force for the first time in 1987.
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में 1987 में पहली बार महिला अधिकारी शामिल हुई थीं

खत्‍म हुआ 35 साल का इंतजार

देश में 3.25 लाख कर्मियों वाले सबसे बड़े अर्धसैनिक बल में इस नियुक्ति के साथ 35 साल का इंतजार समाप्त हो गया। हालांकि सीआरपीएफ को ब्रिटिश काल में 27 जुलाई, 1939 में सीआरपी यानी क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के नाम से बनाया गया था।

पर आजादी के 2 साल बाद 1949 में देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सेवाओं को कायम रखते हुए इसका नाम बदलकर सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स कर दिया था। पटेल ने ब्रिटिशों की पहचान से मुक्ति दिलाने यह कदम उठाया था।

सीआरपीएफ का  मध्‍यप्रदेश के नीमच से है खास नाता

सीआरपीएफ का जन्मस्थान मध्‍यप्रदेश का नीमच है। दरअसल यह नाम भी अंग्रेजों का दिया हुआ है। अंग्रेज़ों ने इसे NIMACH यानी नॉर्थ इंडिया मिलिटरी एंड केवलरी हेडक्वाटर्स नाम दिया था।

स्वतंत्रता पाने के बाद भारत सरकार ने इस नाम में स्पेलिंग को छोड़ कोई बदलाव नहीं किया। इसी नीमच में 1857 के प्रथम स्‍वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश पुलिस को खदेड़ दिया था और इस छावनी पर कब्‍जा कर लिया था।

क्रांतिकारियों ने इस छावनी को अपने आंदोलन के लिए हेडक्वार्टर बना लिया था। हालां‍कि ब्रिटिश सेना ने सभी क्रांतिकारियों को या तो मार दिया था या फिर उन्हें पकड़ कर अगले दिन फांसी पर लटका दिया था।

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