बिहार के 2 इंस्पेक्टर दोस्तों ने नौकरी छोड़ शुरू की सेब की खेती और मछली पालन, अब सालाना कमा रहे 23 लाख रुपये
बिहार पुलिस में कभी इंस्पेक्टर रहे 2 दोस्तों ने VRS ले लिया और खेती-किसानी शुरू कर दी। इनमें से एक भोजपुर के नरही निवासी दीपक प्रकाश और रोहतास जिले के डालमियानगर निवासी राजेश नारायण वर्मा हैं। दोनों ने कोईलवर प्रखंड के नरही गांव में सेब की बागवानी के साथ मछली पालन शुरू किया है।
मछली पालन से सालाना 15 लाख की आमदनी होगी जबकि सेब की बागवानी से करीब 8 लाख की कमाई का अनुमान है। इस तरह दोनों साथी कुल मिलाकर एक साल में करीब 23 लाख रुपए की कमाई करेंगे। इससे इन्होंने खुद के लिए तो रोजगार के नए मौके बनाए ही हैं, अन्य युवाओं के लिए भी आइडल बन गए हैं।
शुरू में कुछ लोगों ने पागलपन कहा
लगभग 9-10 साल नौकरी रहते हुए भी बिहार पुलिस इंस्पेक्टर के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर दोनों मित्रों ने जब समेकित कृषि बागवानी के क्षेत्र में कदम बढ़ाया तो कुछ लोगों ने इसे पागलपन करार दिया। इसके बाद भी इन दोनों ने हिचकिचाहट नहीं दिखाई और अपने कार्य में जुटे रहे।

नरही निवासी सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक नंद किशोर सिंह के पुत्र दीपक प्रकाश और डेहरी निवासी राजेश ने पारिवारिक कारणों के मद्देनजर 25 वर्षों से सेवारत पुलिस इंस्पेक्टर की नौकरी से वर्ष 2020 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली और पैतृक कृषि योग्य भूमि पर बागवानी शुरू की। दीपक ने हरिमन 99 प्रजाति के सेब की जैविक बागवानी शुरू की तो राजेश ने मत्स्य पालन व कुक्कुट पालन प्रारंभ किया।
इंटरनेट से सीख कर शुरू की सेब की खेती
फिलहाल दीपक प्रकाश सेब की खेती कर रहे हैं। इससे पहले शुरुआत उन्होंने रेड लेडी ताइवान पपीता के पेड़ों से की थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। फिर इंटरनेट और यूट्यूब का सहारा लिया।
वहां से जानकारी लेकर पहले सेव के हरिमन 99 प्रजाति के 30 पौधे लगाए। बाद में दो बीघे में 225 और पौधे लगाए। बताया कि इसमें जैविक खाद का प्रयोग कर रहे हैं। दीपक के अनुसार हिमाचल और कश्मीर में होने वाला सेव ठंड के समय होता है। हरिमन 99 पौधे 48 डिग्री तक तापमान सह सकता है। यह जून माह में तैयार हो जाएगा।

इससे सीजन से पहले ही भोजपुर समेत पूरे बिहार के लोगों को कम दाम में अच्छा सेब खाने के लिए मिलेगा। सेब की यह प्रजाति साल में दो बार फसल देगी। अनुमान है कि एक सीजन में करीब 4 लाख रुपए तक की आमदनी होगी।
दोनों 1994 बैच के दारोगा, STF और EOU तक में रहे
दीपक प्रकाश 53 साल के हैं। उनके पिता नंद किशोर सिंह गैलेंट्री अवॉर्ड से सम्मानित रिटायर्ड DSP थे। 1994 बैच में दारोगा में बहाली हुई थे। पहली पोस्टिंग खगड़िया में हुई।
फिर साहेबगंज (झारखंड) और मुजफ्फरपुर में रहे। मार्च 2008 में STF में आए। 2014 में इंस्पेक्टर बनने के बाद EOU में कार्यरत रहे। 2019 में अप्लाई किया तो 1 मई 2020 को VRS मिल गया। दीपक को एक बेटा और एक बेटी है। दोनों बेंगलुरु में जॉब कर रहे हैं।
दीपक के साथी 52 साल के राजेश नारायण वर्मा भी 1994 बैच के दारोगा थे। साल 2004 से 2011 तक STF में रहे। 2013 में इंस्पेक्टर में प्रोमोशन के बाद पटना के श्रीकृष्णापुरी और कदमकुआं थानों में रहे। इसके बाद EOU में आए और 2020 में VRS ले लिया।
राजेश वर्मा कर रहे मछली पालन
इसी जगह राजेश नारायण वर्मा मछली पालन का काम कर रहे हैं। उनके साथी आशीष ने बताया कि इसमें प्रति किलों 40 रूपए का प्रॉफिट है। एक तालाब में रोहू मछलियों के 17 हजार बीज डाले गए हैं, जो 3-4 महीनों में तैयार हो जाएंगी। एक मछली का वजन सवा से डेढ़ किलो तक होता है।

इनके मछली की बाजार में कीमत 130 रूपए है, जबकि आंध्रा से आने वाली मछली 160 रुपए प्रति किलो मिलती है। आशीष का कहना है कि वो हर 4 माह में करीब 5 लाख रुपए का कारोबार कर रहे हैं। हम लोग विशेष ध्यान दे रहे हैं कि एक साल में दो फसल लें। इनकी विधि से समय की बचत होगी और मुनाफा डबल हो जाएगा।
मछली व मुर्गी पालन के साथ करेंगे मोती उत्पादन
राजेश ने अपने मित्र दीपक के साथ मछली व मुर्गी पालन की शुरूआत की है। उन्होंने बताया कि नरही में अभी दो तालाबों में मछली पालन की शुरुआत की गई है। पेंगेसियास, रोहू व कतला मछलियों के अलावा मुर्गी पालन के लिए भी उन्होंने स्थानीय युवाओं को प्रोत्साहित किया है।
उन्होंने बताया कि नई तकनीक से खेती के साथ साथ पशु-पक्षी व जल जीवों का उत्पादन कर गांव के पढ़े-लिखे युवा अपने खेतों में ही बेहतर उत्पादन कर आर्थिक स्थिति बेहतर कर सकते हैं। इससे युवा जहां एक आत्मनिर्भर बन सकेंगे तो वहीं दूसरी ओर गांवों से पलायन भी रुकेगा।