58 year old asha kumari did master degree

58 साल की उम्र में हासिल की मास्टर्स की डिग्री, पढाई छोड़ चुकी महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत

ऐसा कहा जाता हैं की पढ़ने-लिखने की कोई उम्र नहीं होती है। इस कहावत को पूरी तरह से चरितार्थ किया है 58 साल की आशा कुमारी ने। आशा कुमारी ने 58 साल की आयु में मास्टर की डिग्री हासिल कर महिलाओं के लिए मिसाल पेश किया है। उन्‍होंने इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय मुक्‍त विश्‍वविद्यालय (IGNOU) से राजनीति विज्ञान में एमए किया है। IGNOU के 35वें दीक्षांत समारोह में उन्‍हें डिग्री प्रदान की गई। आशा अपनी उम्र की महिलाओं के लिए मिसाल हैं, जिन्होंने उम्र के इस पड़ाव पर यह साबित कर दिया कि अगर लोग चाह लें तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है।

एमए की डिग्री लेने के बाद खुद आशा कुमारी ने बताया कि पढ़ाई और शिक्षा से ही समाज में समानता लाई जा सकती है। शायद इसलिए शिक्षा से बड़ी कोई चीज नहीं है। आपको बता दें कि आशा कुमारी ने इससे पहले हिस्ट्री में भी मास्टर की डिग्री हासिल की थी। बता दें कि शादी के बाद ज्‍यादातर महिलाएं पढ़ाई-लिखाई छोड़ देती हैं। आशा कुमारी की यह सफलता वैसी हजारों-लाखों महिलाओं के लिए मिसाल हैं।

Asha Kumari completed her masters degree at the age of 58
आशा कुमारी ने 58 साल की आयु में मास्टर की डिग्री हासिल किया
Photo Credit – ETV Bharat

58 वर्ष की उम्र में एमए की डिग्री

दरअसल मंगलवार को राजधानी के विद्यापति भवन में इग्नू पटना के क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से 35वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया था। इस दीक्षांत समारोह में 454 छात्र-छात्राओं को विभिन्न कोर्सेज में डिग्री दी गई। आशा कुमारी दीक्षांत समारोह के पूरे कार्यक्रम में आकर्षण के केंद्र में रहीं।

IGNOU 35th convocation was held at Vidyapati Auditorium, Patna.
पटना के विद्यापति सभागार में IGNOU का 35वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया

आशा कुमारी जब मंच पर आईं और डिग्री लिया तो पूरा सभागार तालियों की गूंज उठा। आशा को डिग्री देने के लिए खुद मेयर सीता साहू और क्षेत्रीय निदेशक डॉ. अभिलाष नायक उपस्थित थे। आशा द्वारा 58 वर्ष की उम्र में एमए की डिग्री लेना उन महिलाओ के लिए मिसाल है जो परिवार की जिम्मेदारियों की वजह से अपनी पढ़ाई पीछे छोड़ देती हैं।

पारिवारिक वजहों से छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई

आशा कुमारी ने बताया कि यह उनकी दूसरी मास्टर डिग्री है। इससे पहले कुछ वर्षों पूर्व उन्होंने दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से इग्नू से ही हिस्ट्री में मास्टर्स डिग्री हासिल की थी और अब जाकर पॉलिटिकल साइंस में मास्टर डिग्री हासिल की है।

सामाजिक तथ्यों और उससे जुड़ी तमाम चीजों को जानने की ललक के कारण ही आशा ने पॉलिटिकल साइंस से मास्टर डिग्री हासिल की है। उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन से पढ़ाई से बहुत लगाव है। अच्छी शिक्षा हासिल करने का शौक रहा है लेकिन कुछ पारिवारिक परिस्थितियों की वजह से वह अपनी आगे की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाईं और उच्च शिक्षा का सपना उनका अधूरा रह गया था।

‘जब परिवार की जिम्मेदारियां पूरी हो गई तो सबसे पहले अधूरे सपने का ख्याल आया। अपनी उच्च शिक्षा हासिल करने के सपने को पूरा करने का निर्णय लिया। खाली समय में पढ़ाई करना मुझे बहुत पसंद है। हमेशा पढ़ते रहना चाहिए। शिक्षा हर भेद को मिटाती है। सोना भी शिक्षा से कम ही मूल्यवान है।’- आशा कुमारी

आगे भी पढ़ाई रखूंगी जारी

आशा कुमारी ने कहा कि पढ़ाई से बहुत प्रेम करती हूं और पढ़ाई प्राणों से भी प्यारा है। खाली समय को कुछ पढ़ने और लिखने में ही व्यतीत करती हूं। अब आगे सोच रही हूं की किसी विषय में पीएचडी करूं या फिर कोई अन्य सामाजिक विषय में मास्टर्स की पढ़ाई करूं।

उन्होंने कहा कि पढ़ाई के लिए कोई उम्र नहीं होती। जन्म से कब्र तक सीखने और पढ़ने की प्रक्रिया चलती है। सीखना जीवन पर्यंत होता है और इसे कभी भी छोड़ा नहीं जा सकता।

महिलाओं को दिया ये संदेश

आशा कुमारी ने समाज की दूसरी महिलाओं को भी संदेश देते हुए कहा कि जो महिलाएं पढ़ाई करना चाहती हैं लेकिन अधिक उम्र के कारण वह पढ़ने से डर रही हैं वो अपने आत्मबल को मजबूत करें और पढ़ाई के लिए आगे आएं। पढ़ने सीखने की कोई उम्र नहीं होती।

पढ़ाई ही एकमात्र वह माध्यम है जो समाज में जाति वर्ग भेद और अन्य प्रकार की गैर बराबरी को मिटाता है, इसलिए शिक्षा से बड़ा जीवन में कुछ भी नहीं है। महिलाओं को सोना प्रिय होता है लेकिन पढ़ाई सोने से भी कीमती है।

आशा ने कहा कि सोना छूट जाए तो छूट जाए लेकिन शिक्षा नहीं छूटे, इसका सभी को प्रयास करना चाहिए। स्थिति परिस्थिति चाहे कुछ भी हो शिक्षा को साथ लेकर चलना चाहिए क्योंकि शिक्षा वह धन है जो कभी नष्ट नहीं होता।

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