भारत का सबसे बड़ा रबड़ डैम बिहार में बनकर हुआ तैयार, करेंगे उद्धघाटन, जानिए खासियत
बिहार के गया में फल्गु नदी पर देश का सबसे बड़ा रबर डैम बनकर तैयार हो गया है। 411 मीटर लंबे इस डैम का निर्माण विष्णुपद मंदिर के पास किया गया है। धार्मिक नगरी गया में 9 सितंबर से पितृपक्ष मेले की शुरुआत होने से एक दिन पहले 8 सितंबर को CM नीतीश कुमार इसका उद्घाटन करेंगे।
फल्गु नदी में सिर्फ बारिश के मौसम में ही सतह पर पानी होता है। बाकी दिनों में पानी नहीं रहता। मान्यता है कि गया में बहने वाली फल्गु नदी माता सीता से श्रापित है। मान्यताओं के अनुसार पिंडदान के बाद तर्पण के लिए इसी नदी का जल जरूरी होता है। लेकिन पानी नहीं होने की वजह से न सिर्फ पर्यटकों बल्कि स्थानीय लोगों को भी असुविधा होती थी।
इसी को देखते हुए फल्गु नदी पर रबर डैम का निर्माण कराया गया है। अब नदी में सालभर सतह पर पानी रहेगा और पिंडदान करने आए लोगों को समस्या नहीं होगी। आइए, जानते हैं आखिर रबर डैम होता क्या है…
फल्गु नदी पर रबर डैम बनाने की क्यों पड़ी जरूर?
जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता अजय सिंह का कहना है कि आम बरसाती नदियों की अपेक्षा फल्गु में एक दिन में ही पानी सूख जाता है। अन्य नदियों में लंबे समय तक पानी का ठहराव होता है। इस नदी के भीतर सीपेज तेजी से होता है।
पारंपरिक डैम में नदी के भीतर पानी रोकने की तकनीक नहीं होती है। लेकिन रबर डैम में इस तकनीक का खास दूरी तक इस्तेमाल किया जाता है। चूंकि विष्णुपद के निकट केवल धार्मिक महत्व के मद्देनजर पानी चाहिए था, इसलिए यहां रबर डैम बनाया गया है।
मिलेगा पर्यटन को बढ़ावा
धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर गया में हर वर्ष लाखों हिंदू, बौद्ध और जैन श्रद्धालु आते हैं। इनमें बड़ी संख्या उन श्रद्धालुओं की होती है, जो अपने पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना के साथ पिंडदान, स्नान और तर्पण के लिए आते हैं। लेकिन विश्व प्रसिद्ध विष्णु मंदिर के निकट मोक्ष दायिनी फल्गु नदी में सतही जल का प्रवाह बारिश में कुछ भाग को छोड़ कर शेष दिनों में नहीं रहता है।
इसके कारण देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को काफी होती थी। इसके समाधान के लिए विष्णुपद मंदिर के पास फल्गु नदी में साल-भर जल उपलब्ध कराने के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर जल संसाधन विभाग ने बिहार के पहले रबर डैम का निर्माण निर्धारित समय से एक साल पहले पूरा किया।
रबड़ डैम की ये है खासियत
कार्यपालक अभियंता अजय सिंह ने बताया कि इस डैम का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं है। इस डैम योजना की पूरी रूप रेखा IIT रुड़की के विशेषज्ञों द्वार स्थल निरीक्षण के बाद दिए गए परामर्श को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था।
उन्होंने बताया कि योजना के तहत विष्णुपद मंदिर के निकट 300 मीटर निम्न प्रवाह में फल्गु नदी के बाएं तट पर 411 मीटर लंबा, 95.5 मीटर चौड़ा और तीन मीटर ऊंचा रबर डैम का निर्माण किया गया है। नदी के सतही और उप सतही जल प्रवाह को रोकर पानी को डैम में जमा किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि डैम के सीपेज को रोकने के लिए रबर डैम काम करेगा। नदी के भीतर रॉक लेबल तक 1031 मीटर की लंबाई में रबर शीट पाइल किया गया है और 300 मीटर में डायफ्रॉम वाल बनाया गया है। इस तरह से डैम रेक्टेंगल शेप में बन कर पूरी तरह से तैयार हो गया है।
पुल भी बड़ा सुंदर व टिकाऊ
कार्यपालक अभियंता ने यह भी बताया कि लीन सीजन यानी गर्मी के दिनों में डैम में यदि पानी कमी होती है तो उसे दूर करने के लिए नदी में 5 बोरवेल किए गए हैं। जो डैम में 15-20 प्रतिशत पानी की कमी को दूर कर सकता है।
उन्होंने बताया कि पुल भी बड़ा सुंदर व टिकाऊ है। इसे 6 स्पैन में तैयार किया गया है। स्पैन उसे कहते हैं जो पुल के साइड से दूसरे साइड की दूरी होती है। पुल को पांच पिलर पर खड़ा किया गया है। पुल में स्टील का प्रयोग किया गया है।
बरसात का पानी डैम में होगा जमा
डैम में बरसात के दिनों में नदी में आने वाले पानी जमा होगा। रबर डैम की ऊंचाई तीन मीटर रखी गई है। तीन मीटर तक पानी रहेगा। इससे अधिक पानी होने पर रबर डैम के ऊपर से पानी डाउन स्ट्रीम यानी उत्तर दिशा की ओर निकल जाएगा।
विशेष परिस्थिति में रबर डैम से पानी छोड़ने की व्यवस्था की गई है। दरअसल रबर डैम एक बैलून के समान होता है। विशेष परिस्थिति में बैलून की हवा निकाले जाने की भी व्यवस्था है।