कम लागत में करे ड्रैगन फ्रूट की खेती, मिलेगा अनुदान, किसानों को होगा फायदा
खगडिय़ा खेती-किसानी के क्षेत्र में हमेशा नए प्रयोग कर आगे बढ़ता रहा है। जिले के प्रगतिशील किसान अब पारंपरिक खेती से काफी आगे बढ़ चुके हैं। कहां जाते हो, खगडिय़ा, बूट (चना) लादने, अब मुहावरा भर है। यहां के किसानों ने खेती की परिभाषा ही बदल डाली है। जिले में सेब की खेती के साथ आस्ट्रेलियन रेड बेर, थाइलैंड आलटाइम मैंगो, लाल केला, स्ट्राबेरी, पपीता, मखाना सहित विभिन्न प्रकार के फलों की खेती की जा रही है।
उद्यान उत्पादन मेला में खगडिय़ा के रेड बैर को बिहार में प्रथम और पपीते को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ था। अब जिले में ड्रैगन फ्रूट की खेती की जमीन तैयार हो रही है। उद्यान विभाग की ओर से इसे लेकर तैयारी की जा रही है। विभागीय स्तर पर ड्रैगन फ्रूट की खेती को लेकर स्वीकृति मिलने के साथ ही किसानों से आवेदन लिए जा रहे हैं।
एक किसान ने आवेदन दिया भी है। जिले में फिलहाल एक हेक्टेयर में ड्रैगन फ्रूट की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सब कुछ ठीक रहा तो इसका रकबा बढ़ाया जाएगा।
किसानों के लिए फायदेमंद साबित होंगे ड्रैगन फ्रूट की खेती
ड्रैगन फ्रूट की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित होंगे। इसके पौधे कङ्क्षटग विधि से तैयार किए जाते हैं। एकबार पौधे लगाने के बाद इससे वर्षों तक फल लिए जा सकते हैं।
एकीकृत बागवानी मिशन के तहत इसकी खेती पर अनुदान भी दिए जाते हैं। एक हेक्टेयर की खेती में एक से सवा लाख तक की लागत आती है। अनुदान के साथ यह लागत लगभग आधी हो जाती है।
महंगे बिकते हैं ड्रैगन फ्रूट
ड्रैगन फ्रूट का बाजार में चलन बढ़ा है। यह तीन सौ रुपये प्रति किलो अथवा फल के आकर के अनुसार 75 से 150 रुपये पीस की दर से बिकते हैं। ड्रेगन फ्रूट में कई पोषक तत्व और खनिज पदार्थ मौजूद होते हैं। ये पोषण के साथ इम्यूनिटी बढ़ाने में काफी कारगर है। इसमें काफी मात्रा में एंटीआक्सीडेंट, फाइबर सहित अन्य तत्व पाए जाते हैं।
ड्रैगन फ्रूट की खेती को लेकर किसानों के चयन की प्रक्रिया की जा रही है। अभी एक किसान ने आवेदन दिया है। चयनित किसानों को मुफ्त में पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे। खेती पर अनुदान भी मिलेगा। इसकी खेती किसी भी भूमि पर आसानी से की जा सकती है।
एकबार पौधे लगाने पर कटिंग के साथ वर्षों तक फल लिए जा सकते हैं। बाजार में यह फल तीन सौ रुपये प्रतिकिलो की दर से बिकता है। इसकी खेती किसानों के लिए एक अवसर से कम नहीं है। – मु. जावेद, जिला उद्यान पदाधिकारी, खगडिय़ा।