‘चिल्ड्रन बैंक’ चलाते है इस स्कूल के छात्र, ये सुविधाएं है मौजूद
बिहार के गया जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर बांके बाजार प्रखंड क्षेत्र का मध्य विद्यालय नावाडीह में ऐसा एक बैंक खोला गया है, जहां सिर्फ बच्चों का ही खाता खोला जाता है। स्कूल के बच्चे ही ग्राहक और प्रबंधक हैं।
स्कूल के पुस्तकालय भवन में चिल्ड्रन बैंक ऑफ नावाडीह के नाम से यह बैंक संचालित किया जाता है। पेंसिल, रबड़, कॉपी, पेन, पाठ्यपुस्तक आदि के लिए परेशान रहने वाले गरीब बच्चों के लिए विद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा चिल्ड्रेन बैंक की शुरुआत की गई है।
आम बैंक की तरह ही करता है कार्य
यह बैंक बिल्कुल भी आम बैंक की तरह ही कार्य करता है। सभी बैंकों की ही तरह हर सुविधा यहां पर उपलब्ध है। बैंक को खोलने का एकमात्र उद्देश्य है, बच्चों में बचत की आदत डालना।
जिसमें बच्चे अभिभावकों से मिले जेब खर्चे को मिठाई, चार्ट, कुरकुरे, चिप्स और फास्ट फूड में खर्च करने के बजाय चिल्ड्रन बैंक में जमा करा देते हैं। और अपनी जरूरत के हिसाब से पैसे निकालकर पाठ्य सामग्री, स्टेशनरी, पोशाक आदि खरीदते हैं।
मिलता है 1000 रुपए तक का लोन
चिल्ड्रन बैंक से पाठ्य सामग्री और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए लोन भी दिया जाता है। बच्चों को 1000 रुपए तक का लोन मिलता है। यही नहीं, बच्चों को पाठ्य पुस्तक या सामग्री खरीदने के लिए दूर भी नहीं जाना पड़ता है।
बल्कि कुछ बच्चों के द्वारा एक स्टॉल भी लगाया जाता है जहां पाठ्य सामग्री नो प्रॉफिट नो गेन के तर्ज पर बच्चों को उपलब्ध कराया जाता है। इस बैंक का संचालन पूरी तरह से स्कूली छात्र ही करते हैं, और यही इस बैंक की खास बात है।
यह बैंक पूरी तरह बैंकिंग प्रणाली के अंतर्गत काम करता है और राष्ट्रीय बैंक में प्रयुक्त विड्रोल फॉर्म एवं डिपॉजिट फॉर्म के अनुरूप फॉर्म भर कर ही बच्चे अपने पैसे को जमा या निकासी कर सकते हैं।
यह है बैंक खोलने का उद्देश्य
विद्यालय के प्रधानाचार्य जितेंद्र कुमार ने कहा कि स्कूल में आए दिन बच्चे छोटी छोटी चीजों के लिए परेशान होती थी, किसी के पास पेंसिल नहीं होती थी, तो किसी के पास कॉपी की समस्या होती थी।
बच्चों की परेशानी और उनकी जरूरतों को देखकर हमने ऐसा बैंक खोलने के बारे में सोचा, जहां पेंसिल, रबड़, कॉपी समेत अन्य जरूरी सामान की व्यवस्था बच्चे स्वयं की बचत करके कर सके।
इस तरह के बैंक खोलने के पीछे मुख्य उद्देश्य है कि शिक्षण प्रक्रिया में आने वाले गतिरोध को खत्म करना है। छात्रों में अनुशासन, स्वाबलंबन, जिम्मेदारी, सहभागिता, सामंजस्य की भावना विकसित करना है। इसके साथ छात्रों में सहकारिता, बैंकिंग एवं लेखा जोखा रखरखाव जैसे संबंधित महत्वपूर्ण गुणों एवं कौशल का भी विकास करना है।
बच्चे पॉकेट खर्च की राशि को बैंक में करते हैं जमा
बैंक का संचालन कर रहे बैंक मैनेजर छात्र रौशन कुमार ने कहा हैं कि बच्चों को पॉकेट खर्च के लिए जो घर से पैसे दिए जाते हैं उस पैसे को चिल्ड्रन बैंक में जमा करते हैं। आवश्यकता पड़ने पर पैसे निकालकर जरूरत के सामान खरीदते हैं।
अभी तक इस बैंक में 50-60 बच्चों ने खाता खुलवा लिया है और जरूरत पड़ने पर पैसे की निकासी करते हैं। साथ ही वैसे छात्र जिन्हें लोन की जरूरत पड़ती है वह 1000 रुपए तक का लोन भी ले सकते हैं।