बिहार में रेत पर बेटों संग पसीना बहा रही बेटियां, अब तक इतने स्टूडेंट्स हुए पुलिस में भर्ती
आज बेटियां भी बेटा से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं है। कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत पुलिस और फौज में भर्ती हो रही है। यहां छपरा शहर से सटे दियारा इलाका में घाघरा नदी के रेत पर हर दिन बेटों के साथ बेटियां भी कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही है। इतनी कड़ी मेहनत से पुलिस फोर्स में जाने के लिए कर रही है। अल सुबह ही शहर से जान टोला के दियारा इलाके में करीब 250 लड़के-लड़कियां घाघरा की रेत पर हाई जप, लांग जप, टाइगर जंप और 50 मिनट की रनिंग करते हैं।
इसमें करीब 50 से 60 लड़कियां भी शामिल हैं। जो लड़कों से किसी भी जंप और व्यायाम में पीछे नहीं है। पिछले डेढ़ साल से यह प्रयास शुरू किया गया है। इसमें 45 बेटियां अब तक बिहार पुलिस में चयनित हो चुकी है। 15 लड़कियां दारोगा के लिए चयनित है। वहीं 35 युवक दी पुलिस और फायर मैन में भर्ती हो चुके हैं।

एनसीसी ट्रेनिंग’ में मिली समाजिकता की सीख
छपरा शहर के ब्रह्मपुर मोहल्ला निवासी मिंटू कुमार को इस ट्रेनिंग की प्रेरणा एनसीसी प्रशिक्षण से मिली। उन्होंने जगदम कॉलेज से एनसीसी की ट्रेनिंग ली। सी सर्टिफिकेट पाने के बाद फौज में जाने की तैयारी कर रहे थे। उसी बीच उन्हें लगा कि क्यों नहीं सामूहिक टीम बनाई जाये जहां पर युवक-युवतियां फिजिकल ट्रेनिंग हासिल करें और पुलिस फोर्स में भर्ती हो।
वाटर रेस से लेकर टाइगर जंप भी लगाती हैं लड़कियां
मिंटू बताते है कि इसके लिए ग्राउंड सेंटर राजेन्द्र कॉलेज का परिसर है। पानी रेस और बालू में दौड़ लगाने के लिए दियारा इलाका है जहां पर बेटों के साथ मिलकर बेटियां भी टाइगर जंप, लांग जंप, हाई जंप और 50 मिनट तक का रनिंग करती है। करीब दो से ढाई घंटे तक परिश्रम करती है।

वह सभी को ट्रेनिंग देते है। एक साथ सभी रनिंग करते हैं। यहां फिजिकल ट्रेनिंग लेने के लिए छपरा के अलावे सीवान और गोपालगंज की बेटियों भी यहां डेरा लेकर रहती है। सीवान की मीना कुमारी बताती है कि फिजिकल ट्रेनिंग के लिए गुदरी में रहकर प्रशिक्षण ले रही है।
6 किलोमीटर दूर से चलकर आती है छात्राएं
यहां पर फिजिकल ट्रेनिंग लेने के लिए दूर-दूर से बेटियां आती है। यहां तक कि छपरा के अलावे सिवान और गोपालगंज की बेटियां भी फिजिकल ट्रेनिंग लेने के लिए यहां डेरा लेकर रहती है और प्रशिक्षण लेती है।

सिवान की रहने वाली मीना कुमारी बताती है कि फिजिकल ट्रेनिंग के लिए गुदरी में रहती है और प्रशिक्षण ले रही है। बिहार पुलिस में जाना चाहती है। उसके कई साथियों का चयन हो चुका है।
एक-एक कर जुड़ते गये और फिजिकल एकेडमी बन गई
कोरोना काल के पहले दियारा इलाके में कुछ लड़के रनिंग के लिए जा रहे थे। इस बीच एनसीसी की ट्रेनिंग ले चुके और फौज में जाने की तैयारी कर रहे मुकरेड़ा गांव के अंगद सिंह को पॉजिटिव सोच आई। अंगद ने एक-एक लड़कों को फिजिकल ट्रेनिंग देने लगा। धीरे-धीरे करवां बनता गया। बाद में इस टीम का नाम सारण फिजिकल एकेडमी कर दिया।