ऑनलाइन रेलवे टिकट बुकिंग में हो रही अतिरिक्त वसूली, जानिए केंद्रीय सुचना आयोग ने क्या कहा
फिलहाल देश में किसी भी रूट पर ट्रेनों से सफर करने के लिए ई-टिकट बुक करने के दौरान यात्रियों से 10 से 40 रुपए तक अतिरिक्त वसूली हो रही है। मजबूरी में लोग अधिक चार्ज देकर ऑनलाइन ई-टिकट बुक कर रहे हैं। जनरल टिकट हो या फिर स्लीपर या एसी क्लास, सभी कैटेगरी के यात्रियों से एक्सट्रा चार्ज रेलवे द्वारा ली जा रही है। केंद्रीय सूचना आयोग ने ऑनलाइन टिकट बुकिंग के लिए अतिरिक्त चार्ज लेने पर रेलवे प्रशासन को आड़े हाथों लिया है।
यात्रियों से अतिरिक्त वसूली के विषय पर लगी सूचना के अधिकार की सुनवाई में आयोग ने रेलवे प्रशासन को इस ओर ध्यान देने कहा है। देश में संभवत: यह पहला मामला है जब आरटीआई केवल सूचना प्राप्त करने का माध्यम नहीं होकर, किसी नियम में बदलाव का जरिया बन सकता है।

तय किराया से अधिक वसूली पर ध्यान देने की बात
आरटीआई एक्टीविस्ट प्रकाश अग्रवाल के अपील पर केंद्रीय सूचना आयोग ने रेलवे चेयरमैन को ऑनलाइन टिकट बुकिंग के दौरान तय किराया से अधिक वसूली पर ध्यान देने की बात कही है। 29 अप्रैल के अपने फैसले में सूचना आयुक्त उदय महुरकर ने कहा है कि ई-टिकट बुकिंग का मामले से बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हो रहे हैं।

रेलवे को इसपर विचार करना चाहिए, ताकि डिजिटल इंडिया मिशन के तहत लोगों को सहुलियत मिल सके। साथ ही रेलवे से अधिक चार्ज को कम करने की बात आयोग ने कही है।
ऐसे समझिए अतिरिक्त वसूली का सिस्टम
इसी तरह पटना से नई दिल्ली जाने के लिए संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस के स्लीपर में किराया 510 रुपए है। लेकिन ई-टिकट की बुकिंग करने दौरान कन्विनियंस शुल्क के तौर पर यात्रियों से 17.70 रुपए अतिरिक्त वसूली हो रही है।
इतना ही नहीं, नेट बैंकिंग और गेटवे पेमेंट के नाम पर भी 10 से 15 रुपए किराया में जोड़ दिया जाता है। ऐसे में 510 रुपए की जगह 527 रुपए से भी अधिक लगता है।
रेलवे को ध्यान देने की जरूरत
केंद्रीय सूचना आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि चूंकि यह देश के बड़े तबके से जुड़ा हुआ मसला है, इसलिए इसपर रेलवे को ध्यान देने की जरूरत है। अपनी सुनवाई के बाद आयोग ने अपने फैसले में साफ ताैर से कहा है कि रेलवे द्वारा यात्रियों से हो रही अतिरिक्त वसूली को कम करना चाहिए, क्योंकि यह बड़े जनहित का विषय है।

कन्विनियंस समेत अन्य चार्जेज को कम करने की बात कही गई है। आयोग ने कहा कि चार्ज के नाम पर अधिक पैसा भरने से डिजिटल इंडिया मुहिम को इससे झटका लगेगा, क्योंकि ट्रेन में सफर करने वाला बड़ा वर्ग इससे प्रभावित हो रहा है।
2.5 साल की लड़ाई के बाद हुआ फैसला
आरटीआई एक्टीविस्ट प्रकाश अग्रवाल ने भास्कर से बातचीत करते हुए कहा कि डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए ई-टिकट बुकिंग पर रेलवे ने जोर दिया। लेकिन धीरे-धीरे कन्विनियंस चार्ज तो कभी सर्विस चार्ज के नाम पर यात्रियों से अतिरिक्त वसूली होने लगी।
यात्रियों को रेलवे काउंटर की तुलना में आईआरसीटीसी के एप या आईडी से टिकट बुक करने पर अधिक पैसे लग रहे हैं।
यह है अतिरिक्त वसूली का सिस्टम
पाटलीपुत्रा जंक्शन से छपरा जंक्शन, ट्रेन- लखनऊ-पाटलीपुत्रा एक्सप्रेस
बेस फेयर- 40 रुपए
रिजर्वेशन चार्ज- 15 रुपए
सुपरफॉस्ट चार्ज- 15 रुपए
अदर चार्जेज- 15 रुपए
जीएसटी- 0 रुपए
कैटरिंग चार्ज- 0 रुपए
टोटल फेयर- 85 रुपए (यह है मूल किराया)
कंविनियंस चार्ज
17.70 रुपए इसमें जीएसटी जुड़ा है। इसी चार्ज के नाम पर हो रही अतिरिक्त वसूली, जिसके चलते ऑनलाइन किराया बढ़कर 102.70 रुपए तक पहुंच जाता है। इसके अलावा यदि कोई यात्री इंटरनेट बैंकिंग से पेमेंट करता है तो उसे 3 से 5 रुपए तक और भी देने होते हैं।