UP-बिहार में भी अब हिमाचल और कश्मीर की तरह ही होगी सेब की बम्पर पैदावार!
उत्तर प्रदेश और बिहार (UP and Bihar) के कई जिलों में अब सेब की खेती (Apple Farming) शुरू हो गई है। खासकर पहली बार बिहार के 7-8 जिलों में सेब के बगीचे लगाए गए हैं। बिहार और यूपी के कई जिलों में हरमन-99 (Harman- 99) वेरायटी के सेब के पौधे लगाए जा रहे हैं।
ऐसे में अब यह सवाल उठता है कि क्या सेब की खेती अब यूपी-बिहार के गर्म जलवायु में भी संभव है? क्या बिहार-यूपी में सेब की खेती कर पाना आसान हो जाएगा? गर्म जलवायु में सेब की खेती करने में किसान क्या प्रक्रिया अपना रहे हैं? क्या गर्म जलवायु में पैदा होने वाला सेब हिमाचल प्रदेश और जम्मू- कश्मीर जैसा ही स्वाद दे पाएगा?

बिहार और यूपी के मिट्टी में भी उगाया जा सकता है सेब
आपको बता दें कि भारत में सेब की खेती अमूमन जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में ही होती है, लेकिन अब देश के दूसरे राज्यों में भी सेब की खेती की शुरुआत हो गई है। खासकर बिहार के 7 जिलों में सेब की खेती शुरू हो गई है।

हालांकि, बिहार में हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसी मिट्टी नहीं है। लेकिन, विशेषज्ञों की मानें तो हरमन- 99 वेरायटी की सेब बिहार और यूपी के मिट्टी में भी उगाया जा सकता है। चाहे वह जमीन पथरीली, दोमट या फिर लाल ही क्यों न हो।
अब यूपी-बिहार में भी होगी सेब की बंपर पैदावार?
बिहार के बेगूसराय, वैशाली, औरंगाबाद, मुजफ्फरपुर, गया के कुछ किसान अपने स्तर से सेब की खेती कर रहे हैं। पौधों की विकास भी अच्छी तरह से हो रहा है। ऐसी संभावना है की बिहार में पैदा होने वाले सेब उसी टेस्ट, कलर और साइज का होगा जो हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में होता है।

प्रति एकड़ कितना खर्चा आता है?
हिमाचल प्रदेश के ही एक किसान के सहयोग से बिहार के इन जिलों में सेब के पौधे लगाए गए हैं। सेब की एक ऐसी प्रजाति विकसित की गई है, जो गर्म प्रदेशों में भी भरपूर फल देगी। बिहार के इन जिलों के कृषि विभागों ने भी इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की है।

फिलहाल, इन जिलों में एक-एक हेक्टेयर में खेती की जा रही है। इसमें किसानों को प्रति एकड़ 55 हजार रुपए खर्च आ रहे हैं।
बिहार सरकार का क्या है प्लान?

इसके साथ ही बिहार के कृषि विभाग ने भी किसानों को सेब की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। आवेदन के जरिए जिन किसानों ने सेब की खेती के लिए पंजीकृत किया था, उन किसानों को कृषि विज्ञान केंद्रों पर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।