मिर्च भी घोलती है ज़िन्दगी में मिठास, यकीन न हो तो आ जाइए बिहार के कटिहार, 4 से 5 लाख का मुनाफा

बिहार के कटिहार जिले के फलका प्रखंड के किसान यूं तो केला और मक्का खेती के लिए मशहूर हैं। लेकिन केला में पनामा बिल्ट नामक गलवा रोग से विमुख किसान इन दिनों मक्का के साथ- साथ आलू और हरी मिर्च व ओल की सहफसली खेती कर अपनी उन्नति कर रहे हैं।

स्वाद में तीखी पर यहां के किसानों के अर्थिक जीवन में मिठास का काम करती है हरी मिर्च की खेती। इन दिनों बड़े पैमाने पर मिर्च की खेती कर किसान अपनी जिंदगी में खुशहाली ला रहे हैं। यहां की मिर्च पटना, रांची जैसे बड़े शहरों के अलावा दिल्ली और दूसरे देशों में भेजा जाता है।

एक बार की खेती में 4 से 5 लाख रुपए तक की बचत

फलका के सोहथा दक्षिण के युवा किसान ने एक एकड़ में शिमला मिर्च लगाई थी। जिससे प्रति एकड़ 16 टन उपज ली। 40 रुपए से लेकर 80 रुपए प्रति किलो तक मिर्च का अब तक भाव उठा चुके हैं। वहीं सालेहपुर पंचायत अंतर्गत महेशपुर गांव के युवा किसान मो अब्बू व मो आसिफ इकवाल चार-चार एकड़ में मिर्च की खेती करते हैं।

Every day 50-60 villagers get the job of plucking chillies in the field.
खेत में रोज 50-60 गांववालों को मिर्च तोड़ने का काम मिल जाता है

खेत में रोज 50-60 गांववालों को मिर्च तोड़ने का काम मिल जाता है। एक किलो मिर्च की तुड़ाई के एवज में सात रुपए मिलते हैं। एक मजदूर 20 से 22 किलो मिर्च तोड़ लेता है। जून-जुलाई में खुद नर्सरी तैयार करते हैं। एक बार की खेती में चार से पांच लाख रुपए तक की बचत कर लेते हैं।

फलका प्रखंड के पिरमोकाम, मोरसंडा, सोहथा दक्षिण, उत्तर गोविन्दपुर, हथवाड़ा, भरसिया, भंगहा, सालेहपुर शब्दा पंचायतों में किसान बड़े पैमाने पर मिर्च की खेती कर अपनी आमदनी दुगनी कर रहे हैं।

प्रति बीघा 50 हजार की लागत

बड़े स्तर पर मिर्च की खेती कर रहे महेशपुर गांव के किसान कमर जमाल हासमी उर्फ अब्बू (45 वर्ष) कहते हैं, हमने साढ़े तीन बीघा में मिर्च की खेती की है। जिसमें लगभग 50 हजार रुपए प्रति बीघा की लागत लगी है और इसमें हमें लागत हटाकर अब तक दो लाख 30 हजार रुपए की कमाई हुई है।

अब्बू आगे बताते हैं, अगर किसी बीमारी (उकठा) का प्रकोप नहीं हुआ तो मिर्च से लगभग एक से डेढ़ लाख रुपए की आमदनी और मिलने का अनुमान है। लक्ष्मी एवं 5424 जैसी किस्में इस क्षेत्र में ज्यादा रोपाई की जाती है।

20 से लेकर 80 रुपये किलोग्राम तक बिक्री

वहीं महेशपुर के ही युवा किसान मो आसिफ व मो जहांगीर कहते हैं, इस वर्ष करीब चार-चार एकड़ में मिर्च की खेती की है। जिसमें लागत लगभग ढाई लाख रुपये लगी है। एक एकड़ में करीब 10 क्विंटल मिर्च तोड़ कर 20 से लेकर 80 रुपये किलोग्राम तक बिक्री कर चुके हैं। एवरेज 50 रुपये किलो उपज हुआ है। मिर्च की सहफसली खेती से अभी तक चार से पांच लाख की आमदनी कर चुके हैं।

Saving of 4 to 5 lakh rupees in one time cultivation of capsicum
शिमला मिर्च की एक बार की खेती में 4 से 5 लाख रुपए तक की बचत

फलका के बंटू शर्मा (40 वर्ष) कहते हैं, ‘फलका लाली सिंघिया जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में अब परंपरागत खेती के मुकाबले न केवल उनकी आय में इजाफा हो रहा है बल्कि आस-पास के गांवों के किसानों का भी मन व्यावसायिक खेती करने पर केंद्रित हो रहा है।’

बड़े शहरों में भेजा जाता है 300 से 400 बैग मिर्च

फलका के बड़े व्यापारी राजेश कुमार गुप्ता उर्फ घोलटू कहते हैं कि इस इलाके से 300 से 400 बैग प्रतिदिन मिर्च पटना, नवादा, सिल्लीगुड़ी जैसे बड़े शहरों में भेजा जाता है।

फलका के प्रखंड कृषि पदाधिकारी कृष्ण मोहन चौधरी ने कहा कि अन्य परंपरागत खेती के साथ किसानों का झुकाव सहफसली खेती मिर्च की तरफ बढ़ा है। इसमें किसान बेहतर मुनाफा भी कमा रहे हैं। मिर्च की बेहतर खेती केा लेकर किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

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