कामर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में 108.50 रुपये की वृद्धि, जाने आप पर कितना पड़ेगा असर
सरकारी तेल एवं गैस कंपनियों (Government Oil and Gas Companies) ने कामर्शियल एलपीजी सिलेंडर (Commercial LPG Cylinder) की कीमतों में बड़ी वृद्धि कर दी है। 19 किलो वाला कामर्शियल सिलेंडर 108.50 रुपये जबकि 47 किलो वाला सिलेंडर 271 रुपये महंगा हो गया है।
हालांकि घरेलू रसोई गैस की कीमतें यथावत रखीं गई हैं। इससे घरेलू उपभोक्ताओं पर असर नहीं पड़ेगा। लेकिन इससे रेस्टोरेंट व होटलों की परेशानी बढ़ेगी। नई दरें एक मार्च से प्रभावी हो जाएंगी।

कामर्शियल सिलेंडर की कीमत अब 2236 रुपये
19 किलो वाले कामर्शियल सिलेंडर की कीमत 2,127.50 रुपये से बढ़कर 2,236.00 रुपये पर पहुंच गई है। इसकी कीमत 108.50 रुपये बढ़ाई गई है। इसी तरह से 47 किलो वाले कामर्शियल सिलेंडर की कीमत 5,313.00 रुपये से बढ़ाकर 5,584.00 रुपये कर दी गई है।

इस बाबत बिहार एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशन (Bihar LPG Distributors Association) के महासचिव डाक्टर रामनरेश सिन्हा ने कहा कि इसकी कीमत में 271 रुपये की वृद्धि की गई है। घरेलू रसोई गैस की कीमतें यथावत रखी गई हैं।
14.2 किलो वाले रसोई गैस सिलेंडर 998.00 रुपये, और पांच किलो वाले छोटे सिलेंडर की कीमत 368.00 रुपये ही रखी गई है। 10 किलो वाले कंपोजिट सिलेंडर की कीमत 702.50 रुपये और पांच किलो वाले कंपोजिट सिलेंडर की कीमत 368.00 रुपये पर यथावत रखी गई है।
महीने की पहली तारीख को जारी होती हैं रसोई गैस की नई कीमतें

आपको बता दें कि हर महीने की पहली तारीख को रसोई गैस की नई कीमतें जारी होती हैं। इंडियन आयल कॉरपोरेशन लिमिटेड ने आज मासिक रेट रिवीजन के बाद नया रेट लागू कर दिया है। आज से बिना सब्सिडी वाले 14 किलो घरेलू गैस सिलेंडर 957 रुपये पर मिल रहे हैं।
वहीं 05 किलोग्राम वाले छोटे गैस सिलेंडर की कीमत में भी कोई बदलाव नहीं लाया गया है। यह 353.5 रुपये पर ही बिक रहा है। जबकि कमर्शियल गैस सिलेंडर की रेट में 108.50 रुपये का इजाफा किया गया है।
खाद्य तेलों की कीमत बिगाड़ सकती है बजट
बता दें कि रूस एवं यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का असर उपभोक्ताओं पर सीधा पड़ने के आसार हैं। भले घरेलू गैस की कीमतों में वृद्धि नहीं हुई है लेकिन खाद्य तेलों की कीमतों पर इसका असर पड़ा है।

क्रूड एडिबल आयल के लिए भारत करीब 70 फीसद जरूरतों को इंपोर्ट से पूरा करता है। रूस और यूक्रेन सनफ्लावर आयल की 90 फीसदी जरूरतें पूरा करते हैं। ऐसे में वहां की स्थिति के कारण उपभोक्ताओं की जेब ढीली हो सकती है।