देश की पहली रैपिड रेल की पहली झलक आई सामने, जानिए कब से दौड़ेगी ये ट्रैन
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने दिल्ली-गाजियाबाद और मेरठ कॉरिडोर पर दौड़ने वाली देश की पहली रैपिड रेल के कोच के मॉडल की बुधवार को पहली झलक दिखाई। 82 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर के लिए गुजरात में तैयार कोच दुहाई डिपो पहुंचा। प्राथमिक खंड में ट्रायल के लिए अप्रैल के अंत या मई माह की शुरूआत में गाजियाबाद में रैपिड रेल आएगी।
रैपिड रेल के कोच में मेट्रो से अलग सुविधाएं होंगी। उल्लेखनीय है कि एक साल बाद साहिबाबाद से दुहाई के बीच औसतन 100 किमी. प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ने वाली भारत की पहली रीजनल रैपिड रेल में यात्री सफर कर सकेंगे। इसके लिए नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन द्वारा तैयारी तेज कर दी गई है।

रैपिड रेल का स्वरूप तैयार
देश की पहली आरआरटीएस ट्रेन का स्वरूप तैयार हो गया है। इनमें यात्रियों के लिए ढेर सारी सुविधाएं होगी। एनसीआरटीसी बुधवार को ट्रेन के इंटीरियर (कोच के अंदर का हिस्सा) को दुहाई डिपो में पहली बार प्रदर्शित करने जा रहा है। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ के बीच रैपिड रेल कारिडोर पर आरआरटीएस ट्रेन दौड़ेंगी।

मार्च 2023 से भरेगी रफ़्तार
एनसीआरटीसी के एमडी विनय कुमार सिंह ने बताया कि पहले खंड में साहिबाबाद से दुहाई गांव के बीच मार्च 2023 में रैपिड रेल चलने लगेगी। इस खंड का 90 सिविल कार्य पूरा हो गया है। अगले दो माह में कोच आने शुरू हो जाएंगे।

मई से ट्रायल शुरू हो जाएगा। पहले खंड के छह महीने बाद मुरादनगर से मेरठ के परतापुर तक शुरुआत होगी। इसके बाद साहिबाबाद-दिल्ली के बीच तीसरा खंड शुरू होगा। 2025 में मेरठ शहर में चलेगी।
यात्री क्षमता
छह कोच वाली ट्रेन में एक बार में करीब 1700 लोग सफर कर पाएंगे। इसमें एक प्रीमियम कोच भी होगा, जिसमें 60 लोग बैठ सकेंगे, वहीं सामान्य कोच में 70 से 72 बैठेंगे। हर कोच में 270 लोग खड़े होकर भी सफर कर सकेंगे।

क्या होगी रफ्तार?
ट्रेन का आउटर एयरोडायनेमिक आकार का है, जिससे ट्रेन को ज्यादा रफ्तार में दौड़ने में मदद मिलेगी। 180 किलोमीटर प्रति घंटा इसकी ऑपरेशनल रफ्तार होगी। कंप्यूटरीकृत प्रणाली से चलने वाली इस ट्रेन में ब्रेक लगाते समय झटका भी नहीं लगेगा।
रैपिड रेल की खासियतें

- स्टेनलेस स्टील से बनी ये एयरोडायनामिक ट्रेनें हल्के होने के साथ-साथ पूरी तरह से वातानुकूलित होंगी।
- हर स्टैंडर्ड कोच में प्रवेश और निकास के लिए ‘प्लग-इन’ प्रकार के छह (दोनों तरफ तीन-तीन) स्वचालित दरवाजे होंगे। वहीं प्रीमीयम क्लास कोच में ऐसे चार (दोनों तरफ दो-दो) दरवाजे होंगे।
- सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक ट्रेन में एक प्रीमीयम क्लास कोच होगा।
- यात्रियों को आरामदायक बैठने के लिए सीट, खड़े होने के लिए स्पेस, लगेज रैक, सीसीटीवी कैमरा, लैपटाप, मोबाइल चार्जिंग सुविधा, डायनेमिक रूट मैप, इंफोटेनमेंट सिस्टम, रोशनी-आधारित आटो नियंत्रण परिवेश होगा।
- महिलाओं की लिए एक अलग कोच की व्यवस्था भी होगी।