बिहार में बेरोजगारी के खिलाफ ‘हल्ला बोल यात्रा’ पहुंची अररिया, युवाओं से किया जा रहा संवाद
बेरोजागारी के खिलाफ युवा हल्ला बोल की टीम बिहार यात्रा पर है। बिहार यात्रा के 11वें दिन टीम अररिया जिले पहुंची। यहां युवा हल्ला बोल से जुड़े युवाओं ने सभी का जोरदार स्वागत किया। वहीं, शहर के युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मार्च निकालकर बेरोजगारी के मुद्दे को ज्वलंत किया गया।
पैदल मार्च के दौरान ‘आत्महत्या नहीं, आंदोलन होगा’ के नारे लगे। पैदल मार्च के बाद पेंशनर भवन में जनसंवाद हुआ, जहां सभी ने 23 सितंबर को पटना पहुंचकर युवा आंदोलन को बुलंद करने का प्रण लिया। अररिया में काली मंदिर के पास से युवाओं ने बाइक रैली निकालकर पेंशनर समाज भवन तक अनुपम के समर्थन में मार्च किया। रैली में लगातार ‘बदलेगा हवा, देश का युवा’ के नारे लगाए गए।

‘हल्ला बोल यात्रा’ के लिए ढेरों शुभकामनाएं
यात्रा के क्रम में किशनगंज निकलने से पहले अररिया में महान साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु के गांव औराही-हिंगना पहुंचे संस्थापक अनुपम ने रेणु को नमन करते हुए उस कमरे में बैठे जहां जहां रेणु ने ‘मैला आंचल’ और ‘मारे गए गुलफाम’ जैसे कई साहित्यिक कृतियों को कलमबद्ध किया था। उन्होंने कहा कि रेणु जी के परिजनों ने हमारे उद्देश्य की सराहना करते हुए ‘हल्ला बोल यात्रा’ के लिए ढेरों शुभकामनाएं दी हैं।

अनुपम ने आगे कहा कि बहुत खुशी की बात है कि 16 अगस्त को चम्पारण से शुरू हुई हमारी यात्रा में उम्मीद से बेहतर भागीदारी हो रही है। बेरोज़गारी संकट पर हम जो कुछ भी कह रहे हैं, उससे लोगों की सहमति है।
बेरोज़गारी के खिलाफ ‘हल्ला बोल यात्रा’ बड़ी उपलब्धि
बेरोज़गारी के खिलाफ इस ‘हल्ला बोल यात्रा’ की बड़ी उपलब्धि मानी जायेगी कि राष्ट्रव्यापी युवा आंदोलन के लिए सभी तैयार हो रहे हैं। 23 सितंबर को पटना में सम्मेलन से पहले हम हर जिले में जाकर जनसंवाद करेंगे। बदलेगी हवा-बदलेगा युवा, नारे के साथ अनुपम ने बताया कि बिहार से ही गांधी जी ने पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया था, उस आंदोलन का परिणाम सभी को पता है।

अररिया में एडवोकेट कश्यप कौशल के संयोजन में आयोजित सभा में वक्ताओं ने ‘हल्लाबोल यात्रा’ के लिए आभार प्रकट करते हुए कहा कि अनुपम की अगुवाई में चल रहा युवा आंदोलन देश के लिए उम्मीद की किरण है और हर नागरिक को इसमें सहयोग करना चाहिए। वक्ताओं में डॉ ऋषभ राज, अनुराग बसंत, अफ्फान कामिल, प्रो साजिद आलम समेत अन्य सामाजिक कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।
