बिहार के अररिया का ऐतिहासिक धर्मगंज मेला, कभी नेपाल से आकर लगाया जाता था दुकान
अररिया जिला के पलासी प्रखंड के अंर्तगत एतिहासिक मेला धर्मगंज अतिक्रमणकारियों के चंगुल में फंसता जा रहा है। ज्ञातव्य हो कि आज से वर्षों पूर्व प्रखंड के धर्मगंज मेला बिहार में गिने-जाने वाला मेला था। पलासी प्रखंड व अररिया जिले का ही नहीं बल्कि पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के भी दुकानदार यहां दुकान लगाने आया करते थे। यह सरकार के राजस्व को भी बढ़ावा देता था।
पहले मेला के लिए लगती थी सरकारी डाक
इस मेला के लिए पहले सरकारी डाक लगती थी, जिसमें जिसका डाक बोली ज्यादा होता था। उसी को मेला का ठेकेदार मानकर उन्हें मेला लगाने की अनुमति दी जाती थी। मेला का सरस्वती पूजा के अवसर पर उद्घाटन किया जाता था। यह मेला होली पर्व के बाद ही समाप्त होता था। धर्मगंज मेला प्रांगण में सैकड़ों एकड़ जमीन मेला के नाम से स्वीकृत है।
मेला प्रांगण पर भू माफियाओं का कब्जा
उक्त जमीन को स्थानीय भू माफिया व स्थानीय लोगों ने अपनी जमीन समझकर धर्मगंज मेला प्रांगण में अपने निवास स्थान सहित दुकान बना लिया है। इस दिशा में सीओ पलासी द्वारा उक्त जमीन पर खानापूर्ति करते हुए अतिक्रमणकारियों को नोटिस तो किया गया।
लेकिन भू माफिया व अतिक्रमण कारियो पर कोई असर नहीं दिख रहा है। जानकारी अनुसार सीओ पलासी द्वारा कुछ भू माफिया के विरुद्ध पलासी थाना में नामजद प्राथमिकी भी दर्ज कराया गया। लेकिन स्थिति जस की तस बनीं हुई हैं।
राजस्व के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति
धर्मगंज मेला प्रांगण में मां दुर्गा, सरस्वती सहित अन्य देवी-देवताओं का मंदिर बना हुआ है। धर्मगंज मेला के जमीन पर सैकड़ों दुकान कच्ची व पक्की का बना कर लोग लाखों रुपये महीना कमाते हैं।
वहीं राजस्व के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही किया जा रहा है। धर्मगंज मेला प्रांगण में सरकारी द्वारा मछुवारों के लिए मछली शेड का निर्माण कार्य किया जा रहा है, जिस शेड का शेष ही काम बचा हुआ है।
मेला प्रांगण की जमीन पर रोज अवैध निर्माण
मेला प्रांगण की जमीन पर लगभग प्रत्येक दिन किसी ना किसी लोगों द्वारा अपने कच्चे व पक्की मकान का निर्माण किया जा रहा है, इस दिशा में स्थानीय प्रशासन सहित जिला प्रशासन तक के पदाधिकारी हाथ पर हाथ दिए बैठे हुए हैं।