बिहार के अररिया जिला में स्थापित हुई मशरूम डेमो यूनिट, 20 कृषि विज्ञान केंद्रों में पहला जिला
बिहार कृषि विवि, सबौर के अंतर्गत 20 कृषि विज्ञान केंद्रों में अररिया पहला जिला है, जहां मशरूम डेमो यूनिट (इकाई) स्थापित की गई है। यहां मशरूम का उत्पादन हो रहा है। लोगों को सरकारी दर पर मशरूम उपलब्ध हो जाएगा। बाजार की तुलना में दर काफी कम है। बाजार में 250 से 300 रुपये प्रति किलो मशरूम बिक रहा है तो कृषि विज्ञान केंद्र पर 200 रुपये प्रति किलो की दर पर लोगों को मिलेगा।
उत्पादन के लिए 14-25 डिग्री तापमान होना चाहिए। मशरूम के लिए अररिया की जलवायु बेहतर है। नौ किस्मों के मशरूम की उपलब्धि यहां होगी। फसल अवशेष प्रबंधन के अंतर्गत मशरूम की खेती करवाई जा रही है।

मशरूम काफी लाभदायक
बाजार में सबसे ज्यादा मांग बटन मशरूम की है। साथ ही अन्य किस्म की भी मशरूम उपलब्ध है। इसकी खेती करने के लिए महिला किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मशरूम काफी लाभदायक है।

कई बीमारियों में बेहतर काम करता है। किसानों की आय का एक बेहतर साधन है। इसकी अलग किस्में उपलब्ध है। अगर महिलाएं मशरूम की खेती की तरफ ध्यान दें तो तो कम लागत में अधिक उत्पादन कर बेहतर आय प्राप्त कर सकती है।
पारंपरिक खेती के साथ मशरूम की खेती
बटन मशरूम, ढींगरी सहित कई नामों से इसे जाना जाता है। मशरूम की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है। सितंबर माह से इसकी तैयारी शुरू हो जाती है।

कृषि विज्ञान केंद्र पर 9 किस्म के मशरूम का उत्पादन हो रहा है। किसान प्रशिक्षण प्राप्त कर विभिन्न प्रभेदों के मशरूम का उत्पादन कर सकते हैँ। मशरूम उत्पादन को लेकर किसानों को 2 मार्च से 1 माह तक कौशल प्रशिक्षण केविके पर दिया जाएगा।
रामपुर की महिला किसान प्रतिमा देवी, टेढी मुसहरी की अनिता , सुखी गांव की रिचु कुमारी सिरसिया की आरती व टेढी मुसहरी की कोमल कुमारी पारंपरिक खेती के साथ मशरूम की खेती कर रही है।
क्या कहते है कृषि वैज्ञानिक?
कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय विज्ञानी व प्रधान डा. विनोद कुमार ने बताया कि बिना खेत की खेती है मशरूम। जिनके पास खेती नहीं वे इसे आसानी से कर सकते है। इसके उत्पादन के लिए अंधकार, नमी, शुद्ध हवा जरूरी है। ओरिएस्टर मशरूम यहां के लोग लगाते है।
बटन मशरूम के एक बैग लगाने में 150 रुपये का खर्च आता है उत्पादन 700 रुपये का होता है जिसमें शुद्ध लाभ छह सौ रुपये का है। मशरूम लैब में तैयार किया जाता है। फसल अवशेष का प्रयोग कर प्रजाति के हिसाब से बीज को उगने के लिए माध्यम तैयार किया जाता है।
जिले के 5 गांवों में मशरूम की खेती
अगर किसान तत्परता दिखाए तो मशरूम की खेती बेहतर प्रबंधन के साथ सालों भर की जा सकती है। बटन मशरूम के लिए 14-25 सेल्सियस तापमान होन चाहिए। जिले के मौसम अनुकूल कृषि के तहत पांच गांव में किसान पारंपरिक खेती के साथ मशरूम का भी उत्पादन कर रहे हैं।
डा. कुमार ने बताया कि मशरूम की खेती करने के लिए मास्टर ट्रेनर के रूप में बांका जिले की झिरूवा की रहने वाली विनीता कुमारी मशरूम की खेती के लिए महिलाओं को प्रशिक्षण देकर जागरूक कर रही है। जिले के फारबिसगंज प्रखंड के 5 गांवों में मौसम अनुकूल के तहत मशरूम की खेती किसान कर रहे है।