अजब गजब: बिहार पंचायत चुनाव में 7 करोड़ की जलेबी खा गए मतदानकर्मी, UP से भी आया टेंट-शामियाना
जी हाँ आपने सही पढ़ा, हाल ही में संपन्न हुए बिहार पंचायत चुनाव में बेतहाशा खर्च किया गया। शानो-शौकत ऐसी कि बिहार के एक कोने में होनेवाले चुनाव में राज्य के दूसरे कोने से खाना खिलाने वाले वेंडर आए तो उत्तर प्रदेश से टेंट-शामियाना भी मंगवाया गया।
चुनाव के दौरान मतदान और पुलिसककर्मी पूर्व बिहार, कोसी और सीमांचल के 13 जिलों में सात करोड़ रुपये से अधिक का खाना खा गए। इनमें से काफी राशि जलेबी और मिठाई खाने में खर्च हुई है।
![bihar panchayat chunaw 2021](https://ararianews.com/wp-content/uploads/2022/02/bihar-panchayat-chunaw-2021.png)
सबसे अधिक खर्च दरभंगा जिले में
इसके एवज में जमा किए गए कई बिलों में जीएसटी नंबर भी नहीं है और सीरियल नंबर भी गलत निकला है। सोने पर सुहागा यह कि खाना देने वाले अधिसंख्य वेंडर पटना के ही निकले।
![Highest expenditure in Bihar Panchayat elections in Darbhanga district](https://ararianews.com/wp-content/uploads/2022/02/Highest-expenditure-in-Bihar-Panchayat-elections-in-Darbhanga-district.jpg)
हैरानी तो इस बात की है कि दूर-दराज के इन इलाकों में उत्तर प्रदेश के भी वेंडर खाना खिलाने पहुंच गए। 11 चरणों में हुए पंचायत चुनाव में सिर्फ सहरसा जिले में 2 करोड़ रुपये का खाना चुनाव और पुलिसकर्मी खा गए।
यहां दरभंगा के वेंडर से खाने की आपूर्ति करवाई गई थी। भोजन और नास्ता भी साधारण किस्म का था। चुनाव के दौरान सर्वाधिक खर्च भी इसी जिले में लगभग 13 करोड़ रुपये हुआ।
अधिकारियों ने लोकल वेंडर को दिया काम
टेंट, शामियाना और प्रिंटर के कार्टेज के नाम पर भी बड़ा खेल हुआ। कार्टेज घटिया कंपनी का लिया गया, जबकि विपत्र बेहतर कंपनी का दिया गया। इसी तरह पूर्णिया जिले में भी भोजन पर एक करोड़ 20 लाख रुपये खर्च किए गए।
![Surprising figures of expenditure in Bihar Panchayat elections](https://ararianews.com/wp-content/uploads/2022/02/Surprising-figures-of-expenditure-in-Bihar-Panchayat-elections.jpg)
जमा किए गए कई विपत्रों पर जीएसटी नंबर नहीं है, जबकि लेखा विभाग के प्रविधान के अनुसार बिल पर जीएसटी नंबर होना जरूरी है। गड़बड़ी के रहस्य से पर्दा नहीं उठे, इस कारण अधिसंख्य वरीय अधिकारियों ने लोकल वेंडर को काम दिया ही नहीं।
टेंट, शामियाना व अन्य सामग्री की आपूर्ति करने वाले अधिसंख्य वेंडर पटना के थे। इस वेंडर की सेटिंग इतनी मजबूत थी कि एक साथ उसने कई जिलों में आपूर्ति का काम किया। हैरानी तो इस बात की है, कि एक जिले में उत्तर प्रदेश के वरीय अधिकारी तैनात थे।
आकड़े हैरान करने वाले
उन्होंने उत्तर प्रदेश के वेंडर का विपत्र जमा करवाया। इसने टेंट-शामियाने से लेकर खाने तक की आपूर्ति की। सवाल यह उठता है कि उत्तर प्रदेश और पटना से सामान ढोकर लाने में काफी अधिक किराया लगता है।
ऐसे में उस वेंडर ने किस स्थिति में काम किया होगा, यह विचारणीय है। पंचायत चुनाव के दौरान सबसे कम खर्च लखीसराय जिले में हुआ, लेकिन यह छोटा जिला भी है। यदि इन बिलों की जांच हो तो कई अधिकारियों की कलई खुल जाएगी।
यह आंकड़ा हैरान कर देने वाला है। मामले की जांच कर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वैसे, यह काम चुनाव आयोग का है। – सम्राट चौधरी, पंचायती राज मंत्री, बिहार