pragya ranjan seven year old greta thunberg of bihar

मिलिए बिहार की 7 साल की ‘ग्रेटा थनबर्ग’ से, पर्यावरण से इतना प्रेम की गिफ्ट करती है पौधे

आजकल के बच्चे पर्यावरण संरक्षण को लेकर केवल किताबी ज्ञान तक ही सीमित नहीं रह गए हैं। वे अब इसके लिए धरातल पर भी अपने कदम बढ़ाने लगे हैं। आज शायद ही कोई ऐसा होगा, जो ग्रेटा थनबर्ग के बारे में नहीं जानता होगा। ठीक वैसी ही बिहार के खगड़िया जिले में एक बच्ची भी है। बच्ची का नाम प्रज्ञा है। 7 साल की बच्ची प्रज्ञा रंजन ने पर्यावरण संरक्षण पर अपने नन्हें कदमों की तरह एक छोटी मुहिम छेड़ रखी है। प्रज्ञा पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक कर रही है।

इतनी कम उम्र में वह पर्यावरण संरक्षण का दूत बन चुकी है। सहेलियों के बर्थ डे, शिक्षकों की शादी समारोह अथवा किसी भी शुभ कार्य में जहां उसे अथवा उसके स्वजनों को आमंत्रित किया जाता है वह पौधे लेकर पहुंच जाती है। न सिर्फ पौधे भेंट करती है बल्कि संरक्षण-संवर्धन का वादा भी लेती है।

7 year old girl Pragya Ranjan is making people aware of environment
7 साल की बच्ची प्रज्ञा रंजन पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक कर रही

कक्षा तीन की छात्रा है नन्ही प्रज्ञा

इसके बाद ही किसी भी समारोह से वह अपने घर लौटती है। खगड़िया के मालगोदाम रोड निवासी प्रज्ञा रंजन के पिता आजाद राजीव रंजन भी सामाजिक कार्यों में आगे बढ़कर भाग लेते हैं।

नन्ही प्रज्ञा एसएल डीएवी में कक्षा तीन की छात्रा है। पेड़-पौधों के प्रति यह लगाव उसे बचपन से ही है। ननिहाल कटिहार जिले के मोरसंडा प्रज्ञा के पर्यावरण की पाठशाला का पहला प्रयोगशाला है। जो खगड़िया में विस्तार पाया। अब तक सौ से अधिक समारोहों में प्रज्ञा पौधे दान कर चुकी है।

Pragya Ranjan of Khagaria district of Bihar
बिहार के खगड़िया जिले की प्रज्ञा रंजन

प्रज्ञा का नारा- पौधे लगाइए, जीवन बचाइए

इसमें मां प्रेरणा, दादी मालती देवी आदि का भी भरपूर सहयोग मिलता है। जो प्रज्ञा को पौधे खरीदने के लिए पैसे देती हैं। प्रज्ञा कहती है- कोरोना काल ने एक सीख दी है। इसलिए अब भी लोग नहीं संभले, तो कब संभलेंगे। प्रज्ञा का नारा है- पौधे लगाइए, जीवन बचाइए।

Pragyas slogan Plant trees, save lives
प्रज्ञा का नारा- पौधे लगाइए, जीवन बचाइए

प्रज्ञा रंजन जैसी सोच रखने वाले इंसानों की अहम भूमिका

आपको बता दें कि जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल 1486 वर्ग किलोमीटर है। जिसमें अत्यंत सघन वन क्षेत्र शून्य है। जबकि मध्यम सघन वन क्षेत्र तीन वर्ग किलोमीटर और खुला वन क्षेत्र 18 वर्ग किलोमीटर है। कुल 21 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है।

आंकड़े पर नजर डालें तो 2011 में मात्र 0.54 प्रतिशत वन क्षेत्र था। जो आज बढ़कर 1.41 प्रतिशत हो गया है। धीरे-धीरे ही सही ग्रीन खगड़िया की दिशा में डग भरा जा रहा है। जिसमें महेशखूंट के निरंजन, बेलदौर के दामोदर समेत खगड़िया शहर की सात साल की प्रज्ञा रंजन जैसी सोच रखने वाले इंसानों की अहम भूमिका है।

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