सोना और लोहा के बाद अब बिहार के जमुई में मिला प्राचीन इतिहास का खजाना, सर्वेक्षण हुआ शुरू
दक्षिण बिहार में स्थित जमुई जिला पुरातात्विक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। जहां घने जंगली और पर्वतीय क्षेत्रों में प्रागैतिहासिक, ऐतिहासिक काल के अलावा दूसरे स्थानों से प्राचीन काल के साक्ष्य मिल चुके हैं। अब इस जिले के पुरातात्त्विक महत्व और इतिहास से पूरा देश रुबरु होगा। इसके लिए जमुई जिले का भारतीय पुरातत्व सर्वे द्वारा सर्वेक्षण का काम शुरू हो गया है।
जमुई के पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, नई दिल्ली के द्वारा पुरातात्विक सर्वे का काम बिहार संग्रहालय पटना के द्वारा कराया जा रहा है। पुरातात्विक सर्वे की शुरुआत जमुई जिले के गिद्धेश्वर में भगवान महावीर जन्म स्थान पर्वत शृंखला के घने जंगलों से हुई है। सर्वे की शुरुआत में ही प्राचीन मानव के सांस्कृतिक क्रियाकलापों के साक्ष्य भी मिले हैं।
इस मामले में पुरातत्विक अन्वेषण, जमुई के निदेशक डॉ रवि शंकर गुप्ता ने बताया है कि गिद्धेश्वर और भगवान महावीर के जन्म स्थान के पर्वत श्रेणी में काफी संख्या में शैलचित्र देखने को मिले हैं।
रॉक पेंटिंग और बड़े शैलाश्रय के मिल रहे साक्ष्य
इस इलाके में काफी बड़े-बड़े शैलाश्रय (पत्थरों के घर) भी हैं, जहां रॉक पेंटिंग के साक्ष्य मिल रहे हैं। इन रॉक पेंटिंग में मानव, पेड़ -पौधे, पक्षी, जानवर, सूर्य, चक्र के अलावा कई ज्यामितीय रेखा चित्र का अंकन है। इन चित्रों में लाल रंग का इस्तेमाल किया गया है।
सभी रॉक पेंटिंग जंगल के अलग-अलग स्थान में है, जहां पहुंचना का रास्ता अत्यंत दुर्गम है। इस क्षेत्र में नव पाषाण, ताम्र पाषाण से प्रारंभिक इतिहास एवं पूर्व मध्यकाल तक के रॉक पेंटिंग मिले हैं।
औजार और मिट्टी के बर्तनों के भी मिले टुकड़े
बता दें कि यहां आसपास के इलाके में कई अवशेष के रूप में औजार, मृदभांड के टुकड़े, पक्के ईंंट के टुकड़े भी मिले हैं, जिसे अनुमान लग रहा है कि काफी पहले से मानवीय क्रियाकलापों का क्षेत्र रहा है।
अनुमान के अनुसार यहां मानव काम के बाद आराम के समय में पत्थरों पर तरह-तरह की आकृतियां बनाते होंगे। जिले में पुरातात्विक सर्वे का काम प्रखंड स्तर पर किया जाएगा। जहां-जहां भी महत्वपूर्ण पुरातात्विक साक्ष्य मिलने की संभावना है, वहां-वहां सर्वे का काम होगा।