sarita takes care of four children and husband runs e rickshaw in munger

मिसाल: बिहार में इ-रिक्शा लेकर सड़कों पर निकली सरिता, बीमार पति और 4 बच्चों को पालना था मुश्किल

मुंगेर जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी दूर टेटिया बंबर प्रखंड की भूना पंचायत स्थित मोहराटन गांव की सरिता देवी समाज के लिए नजीर बन गई हैं। जिले की यह पहली महिला हैं, जो ई-रिक्शा चला रही हैं। सरिता प्रखंड की पंचायतों में ई-रिक्शा चलाती हैं। वह गांव के लोगों को बाजार से गांव और बाजार से गांव तक पहुंचाती हैं।

इससे हर दिन इन्हें सात से आठ सौ रुपये की आय हो जाती है। इससे इनकी आर्थिक स्थिति धीरे-धीरे सुदृढ़ हो रही है। वह बच्चों को निजी स्कूल भेज रही है। इन्हें देखकर दूसरी महिलाएं भी इस दिशा में आगे बढ़ रही हैं।

जीविका से किस्मत बदली

सरिता देवी की शादी 2008 में शंकर मांझी से हुई थी। पति साक्षर नहीं हैं। ऐसे में वे बेरोजगार रह गए। वे बीमार भी रहते थे। पैसे की किल्लत के कारण उनके पूरे परिवार को कभी-कभी भूखे रहना पड़ता था। सरिता को दो पुत्र व एक पुत्री है। सरिता पहले जीविका संगठन से जुड़ी।

2021 में ग्राम संगठन सफलता की जीविका कार्यकर्ता सिंधु कुमारी को उन्होंने अपना दुखड़ा सुनाया। सतत जीविकोपार्जन योजना के तहत सरिता को ई-रिक्शा दी गई। कुछ दिनों में ही इन्होंने ई-रिक्शा चलाना सीख लिया। अच्छी आमदनी होने के बाद बीमार पति का इलाज कराया।

पुरुष के बराबर काम करती है महिला

सरिता देवी का कहना है कि महिलाएं पुरुषों से तो न पहले कम थी और न ही अब है। महिला-पुरुष के बराबर काम करती है। यहीं सोच कर ई-रिक्शा चलाने के लिए पहले आगे आने का निर्णय लिया। अब परिवार का गुजारा अच्छे से हो रहा है।

सरिता कहती है कि जब महिलाएं बैंक व अन्य कार्यालयों में कंप्यूटर चला सकती हैं तो सड़क पर ई-रिक्शा चलाने में कोई शर्म महसूस नहीं होनी चाहिए। वह कहती है कि जब से ई-रिक्शा चलाने का काम कर रही है, तब से उनमें आत्मविश्वास बढ़ा है।

अपने कार्य के प्रति लगन और कड़ी मेहनत से वह अन्य अपनी जैसी महिलााओं के लिए प्रेरणा बन रही है। बढ़ती आय को देखते हुए उनका अपने छोटे छोटे सपनों को पूरा करने की उम्मीद जगी है।

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