ग्रेजुएशन के बाद नहीं मिली नौकरी तो साइकिल पे बेचा मसाला, अब मसाला फैक्ट्री के मालिक
ऐसा कहा जाता हैं कि अगर आपके हौसले बुलंद हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। इन बातों को सच कर दिखाया है बिहार के पूर्णिया जिले के ग्रामीण क्षेत्र के मुकेश कुमार सिन्हा ने। वह जो कभी आर्थिक कठनाईयों से जो जूझता रहा और नौकरी के लिए दर-दर भटकता रहा आज खुद मसाले फैक्ट्री के मालिक बन गए और दूसरों को नौकरी देने के काबिल बन गए हैं।
ग्रेजुएशन के बाद कर रहे थे UPSC की तैयारी
मुकेश कुमार सिन्हा एक गरीब परिवार से थे। वह सरकारी नौकरी करना चाहते थे। ग्रेजुएशन के बाद वह पटना में IAS बनने के लिए तैयारी कर रहा था। लेकिन नसीब ने उसे साथ नहीं दिया। इसी बीच उनके पिता की डेथ हो गई। और उसने आर्थिक कठिनाइयों के कारण तैयारी अधूरा छोड़कर घर चले गए।
नौकरी नहीं मिलने पर बेचने लगे मसाले
पिता के मृत्यु के बाद मुकेश के लिए और भी परेशानी बढने लगी। IAS बनने के सपने अधूरे रह गए। वह आर्थिक समस्या से परेशान होने लगे। लेकिन मुकेश ने हिम्मत नहीं हारी और उसने अपने पिता के साइकिल से घूम- घूमकर मसाले बेचने लगे। उसने मसाले बेचकर कुछ पैसे बचत किए और मक्का भी कारोबार करने लगे। उसके बाद मुकेश के तो जिंदगी ही बदल गई।
खुद बन गए मसाले फैक्ट्री के मालिक
मुकेश ने अपने पुराने बीते हुए दिन को नहीं भूले और उसने पूर्णिया में ही सिमांचल मसाला उधोग खोल दिया। उधोग में फिलहाल दो दर्जन से अधिक बेरोजगार युवा व महिला कार्यरत हैं। फैक्ट्री में हर रोज 3 टन मसाले का उत्पादन होता है जो 3 करोड़ से अधिक का है। खर्च काट कर मुकेश को हर महीने लाखों रुपए की कमाई होती है। लोग इन्हें ग्रेजुएट मसाले वाले के नाम से भी बुलाते हैं।
मसाला बिजनेस में ज्यादा प्रॉफिट
भारतीय खाने में मसालों का स्थान हमेशा से ही महत्वपूर्ण रहा हैं। विश्व में भारतीय खाने की पहचान इसमें डालें गये मसालें ही हैं इसलिए मसालों की मांग हमेशा मार्किट में बनी रहती हैं। अगर आप अपना व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं तो आप आसानी से मसाले बनाने की यूनिट लगा सकते हैं। इस बिज़नस में लागत कम आती हैं और प्रॉफिट आपको ज्यादा मिलेगा।